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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

शिशु गीत --कृष्णवल्लभ पौराणिक, इंदौर


कुत्ता बोला भौं भौं भौं
गफलत में क्यों रहते?
चौंकन्ने तुन सदा रहो.

बिल्ली बोली म्याऊँ-म्याऊँ
भूख लगी है मुझको
क्या अन्दर आ जाऊँ?

मुर्गा बोला कुकडूकूं
भोर हो गयी मुन्ने
कब तक तुझे पुकारूँ?

गधा बोलता ढेंचू-ढेंचू
भर बहुत लड़ा है
मैं कैसे खैन्चूं?

घोड़ा हिन्-हिन् बोला
आओ! सैर कराऊँ
मैं तुमको हरदिन.

गाय बोली म्यां
मेरा बछडा नहीं मिला
वह खो गया कहाँ?

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