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बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

विशेष गीत : हम अभियंता अभियंता संजीव 'सलिल'

विशेष गीत :
हम अभियंता 

अभियंता संजीव 'सलिल'
*
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं।
वामन से संकल्पित पग धर-
हिमगिरि को बौना करते हैं।
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं।
असफलता का फ्रेम बनाकर
चित्र सफलता का मढ़ते हैं।
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता?
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
अनिल, अनल, भू, 'सलिल', गगन हम
पंचतत्व औजार हमारे।
विश्व, राष्ट्र, मानव उन्नति हित
तन-मन-समय-शक्ति-धन वारे।
वर्तमान, गत-आगत नत हैं
तकनीकों ने रूप सँवारे।
निराकार साकार हो रहे
अपने सपने सतत निखारे।
साथ हमारे रहना चाहे
भू पर उतर स्वयं भगवंता।
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते
ऊसर में फसलें लहराते।
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते।
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति नटी की
आँखों से हम आँख मिलाते।
हरि सम हर हर आपद-विपदा
गरल पचा अमृत बरसाते।
'सलिल'-स्नेह नर्मदा निनादित
ऊर्जा-पुंज अनादि अनंता। 
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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