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रविवार, 29 सितंबर 2013



Rajesh Sharma's photo.

दोहा सलिला:

संजीव
*
शब्द कौन सा जगत में, जो न तुम्हारा नाम
शब्दहीन है शब्द बन, मैया तेरा धाम
*
अक्षर-अक्षर क्षर हुआ, हो मैया से दूर
शरणागत हो क्षर हुआ, अक्षर अमर अदूर
*
रव बनकर वर दे दिया, गूँजा अनहद नाद
पिंड-मुंड, आकाश-घट, दस दिश नवल निनाद
*
आत्म तुम्हीं परमात्म तुम, तुम ही देह-विदेह
द्वार देहरी आंगना, कक्ष समूचा अगेह


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