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शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

chhand salila: chaubola chhand -sanjiv

​छंद सलिला:
१५ मात्रा का तैथिक छंद : चौबोला 
संजीव
*

लक्षण: २  पद, ४ चरण, प्रतिचरण १५ मात्रा, चरणान्त लघु गुरु

लक्षण छंद: 
बाँचौ बोला तिथि पर कथा, अठ-सत मासा भोगे व्यथा
लघु गुरु हो तो सब कुछ भला, उलटा हो तो विधि ने छला 
(संकेत: तिथि = १५ मात्रा, अठ-सत = आठ-सात पर यति, लघु-गुरु चरणान्त)

उदाहरण:
१. अष्टमी-सप्तमी शुभ सदा, हो वही विधि लिखा जो बदा
   कौन किसका हुआ कब कहो, 'सलिल' जल में कमल सम रहो

२. निर्झरिणी जब कलकल बहे, तब निर्मल जल धारा गहे
    रुके तड़ाग में पंक घुले, हो सार्थक यदि पंकज खिले 

३. लोकतंत्र की महिमा यही, ताकत जन के हाथों रही 
   जिसको चाहा उसको चुना, जिसे न चाहा बाहर किया    

(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कीर्ति, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रदोष, प्रेमा, बाला, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, माया, माला, ऋद्धि, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी) 
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