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रविवार, 16 मार्च 2014

fguaa geet : bramhani veena

, होली का फगुआ गीत
ब्रह्माणी वीणा

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फगुआ में छाई बहार आली
आई बसंत बहार आली ।
धरती ने ली अंगड़ाई,
मधुर मधुर सपनों में खोई
हरीतिमा का अनुपम श्रंगार
गगन देता धरणी को प्यार,
संग मे बासंती उपहार आली ,
फगुआ में छाई बहार आली,,,,,,,,,,,,,,,,,
कण कण में जगी उमंगें
नव पराग कण नई तरंगें
भौंरे गूँज रहे फूलों पर ,
खिले पलाश , कचनार आली
फगुआ में छाई बहार आल,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,
नीले पीले रंग बसंती
उड़े रंग गुलाल मधुमती
कृष्ण राधिका छक छक भीजैं
सब गोपियन के तन मन भीजै
पिचकारी छोड़ें सखियन पर ,
ग्वालन की तकरार आली ,
फगुआ में छाई बहार आली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

आपकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल सोमवार (03-03-2014) को ''होली आई रे आई होली आई रे '' (चर्चा मंच-1554) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!

virendra sharma ने कहा…

लोकबयार लिए सशक्त अभिव्यक्ति

virendra sharma ने कहा…

लोकबयार लिए सशक्त अभिव्यक्ति