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बुधवार, 30 जुलाई 2014

ईद मुबारक

द्विपदियाँ

संजीव

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जब समय के पार झाँकें, नयन तब देखें अदेखा
तुम न जानो ग्रह बतायें, कहाँ कैसी भाग्य रेखा?
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चाँद जब उसको कहा, रूठ गयी वह मुझसे
दाग चेहरे पे नहीं मेरे, मैं न नेता हूँ..
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चाँद से जब भी मिले, रजनी पूर्णिमा हो तभी
सफर का अन्त ही, शुरुआत नयी होती है.
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जात मजहब धर्म बोली, चाँद अपनी कह जरा
पुज रहा तू ईद में भी, संग करवा चौथ के.
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चाँद तनहा है ईद हो कैसे? चाँदनी उसकी मीत हो कैसे??
मेघ छाये घने दहेजों के, रेप पर उसकी जीत हो कैसे??
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एक मुक्तक
कोशिशें करती रहो, बात बन ही जायेगी
जिन्दगी आज नहीं, कल तो मुस्कुरायेगी
हारते जो नहीं गिरने से, वो ही चल पाते-
मंजिलें आज नहीं कल तो रास आयेंगी.
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संकलितः ईद मुबारक
रात कल ख्वाब में मुझको तेरी दीद हुई
ईद हो या कि ना हो ,मेरे लिए ईद हुई .
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कमाल-ऐ-ज़ब्त मोहब्बत इसी को कहते है,
चाँद दिख भी गया और हम उसे अपना न कह सके.
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जिनका चाँद वक़्त के आसमां में खो गया
उनके हाथों पे भी कभी कोई ईद रख ज़रा -अशोक जमनानी
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ईद की सबको मुबारक ईद का त्योंहार है,
दोस्तों और दुश्मनों में आज देखो प्यार है,
ईद की पुरज़ोर ख़ुशियों का ये मंज़र देखिये,
हिन्दू-मुस्लिम एक हैं हाइल कहाँ दीवार है -नासिर ज़ैदी
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साल भर के बाद आया दिन मुबारक ईद का,
भर के खुशियाँ साथ लाया दिन मुबारक ईद का। -प्रो. सरन घई
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ईद वालों को ईद मुबारक, तीज वालों को तीज मुबारक
प्यार से नफरत हारे यादव', रोप दें ऐसे बीज मुबारक -रघुविन्द्र यादव
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ईद मुबारक हो हर हाल मुबारक हो.
खुशियों से भरे झोली हर साल मुबारक हो| -प्रभुदयाल श्रीवस्तव
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आज बधायां ईद री, सावण तीज सुहाय.
रळमिल रैवां माेकळा, रूं- रूं खिलताै जाय..- दीनदयाल शर्मा
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छाेड़ पुरानी रंजिशें, ईद मनाएं साथ.
गले लगा ले आज ताे,सिर्फ मिला मत हाथ..- विजेन्द्र
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