दोहा:
कुछ अनुशासन बरतकर, क्यों न मने त्यौहार?
मिटे मलिनता देश से, कोई न हो बीमार
धन-सम्पति जो दीन ने, विपदा हित ली जोड़
नष्ट मत करे- पटाखे क्रय कर पल में फोड़
चित्र गुप्त जो ज्ञान का, शिक्षा से लें जान
मूर्ति पूज मत सत्य का, करें आप अपमान
मृण्मय मानव को लिया, परम पिता संग जोड़
चित्रगुप्त को पूजना, दिया अन्य ने छोड़
गूढ़ सत्य अन्तर्निहित, समझें पहले आप
कहें कथाओं को तभी, वरना हो संताप
कुछ अनुशासन बरतकर, क्यों न मने त्यौहार?
मिटे मलिनता देश से, कोई न हो बीमार
धन-सम्पति जो दीन ने, विपदा हित ली जोड़
नष्ट मत करे- पटाखे क्रय कर पल में फोड़
चित्र गुप्त जो ज्ञान का, शिक्षा से लें जान
मूर्ति पूज मत सत्य का, करें आप अपमान
मृण्मय मानव को लिया, परम पिता संग जोड़
चित्रगुप्त को पूजना, दिया अन्य ने छोड़
गूढ़ सत्य अन्तर्निहित, समझें पहले आप
कहें कथाओं को तभी, वरना हो संताप
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