लघुकथा:
नीले सियार के घर में उत्सव था। उसने अतिउत्साह में पड़ोस के सियार को भी न्योता भेज दिया।
शेर को आश्चर्य हुआ कि उसके टुकड़ों पर पलनेवाला उससे दगाबाजी करनेवाले को आमंत्रित कर रहा है।
आमंत्रित सियार को पिछली भेंट याद आयी. जब उसने विदेश में वक्तव्य दिया था: 'शेर को जंगल में अंतर्राष्ट्रीय देखरेख में चुनाव कराने चाहिए'। सियार लोक में आपके विरुद्ध आंदोलन, फैसले और दहशतगर्दी पर आपको क्या कहना है? किसी ने पूछा तो उसे दुम दबाकर भागना पड़ा था।
'शेर तो शेरों की जमात का नेता है, सियार उसे अपना नुमाइंदा नहीं मानते' आमंत्रणकर्ता सियार बोला तो केले खा रहे बंदरों ने तुरंत चैनलों पर बार-बार यही राग अलापना शुरू कर दिया।
'हम सियार तो नीले सियार को अपने साथ बैठने लायक भी नहीं मानते, नेता कैसे हो सकता है वह हमारा?' युवा सियार ने पूछा।
'सूरज पर थूकने से सूरज मैला नहीं होता, अपना ही मुँह गन्दा होता है' भालू ने कहा।
'जानवरों के बीच नफरत फ़ैलाने और दूरियाँ बढ़ानेवाले इन बिकाऊ बंदरों पर कार्यवाही हो, बे सर पैर की बातों को चैनलों पर बार-बार दिखाकर खरबों रुपयों का समय और दर्शकों का समय बर्बाद करने का हक़ इन्हें किसने दिया?' भीड़ को गरम होता देखकर बंदर और सियार ने सरकने में ही भलाई समझी।
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