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बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

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नवगीत:

देव सोये तो
सोये रहें
हम मानव जागेंगे

राक्षस
अति संचय करते हैं
दानव
अमन-शांति हरते हैं
असुर
क्रूर कोलाहल करते
दनुज
निबल की जां हरते हैं

अनाचार का
शीश पकड़
हम मानव काटेंगे

भोग-विलास
देवता करते
बिन श्रम सुर
हर सुविधा वरते
ईश्वर पाप
गैर सर धरते
प्रभु अधिकार
और का हरते

हर अधिकार
विशेष चीन
हम मानव वारेंगे

मेहनत
अपना दीन-धर्म है
सच्चा साथी
सिर्फ कर्म है
धर्म-मर्म
संकोच-शर्म है 

पीड़ित के
आँसू पोछेंगे
मिलकर तारेंगे

***
२८ -११-२०१४
संजीवनी चिकित्सालय रायपुर 

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