दोहा सलिला:
चीज न कोई भी दिखी, सबमें थे भगवान
चीज हुए भगवान भी, हाय - हाय इंसान
रीति - नीति से कब बना, यह आदम इंसान
प्रीति पालकर हो सका, हर मानव रस-खान
परमपिता के निकट ही, मिले पिता को ठौर
पुत्र बिसूरे पर नहीं, जाकर पूजे और
*
चीज न कोई भी दिखी, सबमें थे भगवान
चीज हुए भगवान भी, हाय - हाय इंसान
रीति - नीति से कब बना, यह आदम इंसान
प्रीति पालकर हो सका, हर मानव रस-खान
परमपिता के निकट ही, मिले पिता को ठौर
पुत्र बिसूरे पर नहीं, जाकर पूजे और
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