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बुधवार, 21 जनवरी 2015

navgeet, geet, padya, sanjiv,

नवगीत:
संजीव 
*
मिली दिहाडी
चल बाजार

चावल-दाल किलो भर ले-ले 
दस रुपये की भाजी
घासलेट का तेल लिटर भर 
धनिया-मिर्ची ताजी
तेल पाव भर फ़ल्ली का
सिंदूर एक पुडिया दे 
दे अमरूद पांच का, बेटी की 
न सहूं नाराजी 
खाली जेब पसीना चूता 
अब मत रुक रे!
मन बेजार

निमक-प्याज भी ले लऊँ तन्नक  
पत्ती चैयावाली 
खाली पाकिट हफ्ते भर को  
फिर छाई कंगाली 
चूड़ी-बिंदी दिल न पाया 
रूठ न मो सें प्यारी  
अगली बेर पहलऊँ लेऊँ 
अब तो दे मुस्का री! 
चमरौधे की बात भूल जा 
सहले चुभते 
कंकर-खार 

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