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मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

geet: veer vandana -sanjiv

गीत:
वीर वन्दना
संजीव
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वीर-वन्दना करे कलम तर जायेगी
वाक् धन्य 'जय हिन्द' अगर गुन्जाएगी
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जंबू द्वीप सनातन है, शुचि-सुन्दर है
कण-कण तीरथधाम, मनुज-मन मन्दिर है
सत्यदेव की पूजा होती रही सदा
इष्ट हमारा एक 'सत्य-शिव-सुंदर है
सत-चित-आनंद छवि गीता दर्शाएगी
.
आर्यावर्त-गोंडवाना मिल गले मिले
सूख गया टैथीज, हिमालय-गंग मिले
सिन्धु-ब्रम्हपुत्रा आँचल मनु-पुत्र बसे
चाँद-चाँदनी हँसे भुलाकर सभी गिले
पावस-शीत-ग्रीष्म नव खुशियाँ लायेगी
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भारत रत है मानव को सुख देने में
सुख-संतोष-सफलता नैया खेने में
बच्चा-बच्चा दानवीर के यश गाता
सत्य जानता गर्व न होता लेने में
सतनारायण पूजें माँ मुस्काएगी
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