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मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

muktika: sanjiv

मुक्तिका:
संजीव
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पल में  न दिल में दिल को बसाने की बात कर  
जो निभ सके वो नाता निभाने की बात कर 

मुझको तो आजमा लिया, लूँ मैं भी आजमा
तू अब न मुझसे पीछा छुड़ाने की बात कर 

आना है मुश्किलात को आने भी दे ज़रा 
आ जाए तो महफिल से न जाने की बात कर 

बचना 'सलिल' वो  चाहता मिलना तुझे गले 
पड़ जाए जो गले तो भुलाने की बात कर 

बेचारगी  और तीरगी से हारना न तुम 
यायावरी को अपनी जिताने की बात कर  
...
     

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