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गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

soratha: baans -sanjiv

सोरठा
बाँस
संजीव
.
लक्ष्य चूम ले पैर, एक सीध में जो बढ़े
कोई न करता बैर, बाँस अगर हो हाथ में
.
बाँस बने पतवार, फँसे धार में नाव जब
देता है आराम, बखरी में जब खाट हो

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