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रविवार, 31 मई 2015

dwipadi: sanjiv

द्विपदी सलिला :
संजीव
*
औरों की निगाहों से करूँ, खुद का आकलन 
ऐसा न दिन दिखाना कभी, ईश्वर मुझे.
*
'डूब नजरों में न जाएँ' ये सोच दूर रही
वरना नज़रों के नजारों पे नजर शैदा थी

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