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मंगलवार, 28 जुलाई 2015

navgeet

एक रचना:
संजीव
*
विंध्याचल की
छाती पर हैं
जाने कितने घाव
जंगल कटे
परिंदे गायब
धूप न पाती छाँव
*
ऋषि अगस्त्य की करी वन्दना
भोला छला गया.
'आऊँ न जब तक झुके रहो' कह
चतुरा चला गया.
समुद सुखाकर असुर सँहारे
किन्तु न लौटे आप-
वचन निभाता
विंध्य आज तक   
हारा जीवन-दाँव.
*
शोण-जोहिला दुरभिसंधि कर
मेकल को ठगते.
रूठी नेह नर्मदा कूदी
पर्वत से झट से.
जनकल्याण करे युग-युग से
जगवंद्या रेवा-
सुर नर देव दनुज
तट पर आ
बसे बसाकर गाँव.
*
वनवासी रह गये ठगे
रण लंका का लड़कर.
कुरुक्षेत्र में बलि दी लेकिन
पछताये कटकर.
नाग यज्ञ कह कत्ल कर दिया
क्रूर परीक्षित ने-
नागपंचमी को पूजा पर
दिया न
दिल में ठाँव.
*
मेकल और सतपुड़ा की भी
यही कहानी है.
अरावली पर खून बहाया
जैसे पानी है.
अंग्रेजों के संग-बाद
अपनों ने भी लूटा-
आरक्षण कोयल को देकर 
कागा
करते काँव.
*

कह असभ्य सभ्यता मिटा दी
ठगकर अपनों ने.
नहीं कहीं का छोड़ा घर में
बेढब नपनों ने.
शोषण-अत्याचार द्रोह को
नक्सलवाद कहा-
वनवासी-भूसुत से छीने 
जंगल
धरती-ठाँव.
*




1 टिप्पणी:

chetana sachde ने कहा…

chetana sachde

आप यह सब इतनी जानकारी जनता मे बाट दे और यह सारी जानकारी लोग पचाले तो शायद विश्व की हाँ पूरे विश्व की जन संख्या कन्ट्रोल हो जाएगी हमारे दैवि शक्तिओं से देवि देवताओं कि हि तरह ही धन्यवाद जी बहोत सांसे दबा दबा के पकड पकड कर कुंभक प्राणायम से योग कर कर के धैर्य और धीमी गति से स्थिर हो कर पाइ गयी स्थिति मे ऐसा आचरण हो सकता है यां इतना सारा अनुभव मे लाना और इतनि अच्छी तरह से समझकर लीखना संमव हो पाता है। जय ओम सांसो पर ध्यान करके सांसे थाम कर जीए जीसे मरके जीना कहते है जहा सिर्फ परमात्मा हाजर होते है मै मर गया और शुद्ध आत्मा बच कर परमात्मा हो गया। ओम सद्गुरु वर नम: धन्यवाद जी,There is another opinion from others sides which is our or your opinion not my opinion that is एक परमात्मा है जीसने सारे जगत को जिंदा रखा है और लोगो को यह एहसास होता है वह परमात्मा मै हुँ this is our or your opinion.शुभ प्रभात