कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 1 मार्च 2016

navgeet

नवगीत 
आ गयीं तुम 
*
आ गयीं तुम 
संग लेकर 
सुनहरी ऊषा-किरण शत।
*
परिंदे शत चहचहाते 
कर रहे स्वागत।
हँस रहा लख वास्तु 
है गृह-लक्ष्मी आगत।
छा गयी हैं 
रख अलंकृत 
दुपहरी-संध्या, चरण शत।
*
हीड़ते चूजे, चुपे पा 
चौंच में दाना।
चाँद-तारे छा गगन पर 
छेड़ते गाना।
भा गयी है 
श्याम रजनी 
कर रही निद्रा वरण शत।
*
बंद नयनों ने बसाये 
शस्त्रों सपने।
सांस में घुल सांस ही 
रचती नए सपने।
गा रहे मन-
प्राण नगमे 
वर रहे युग्मित तरुण शत।
*
आ गयीं तुम 
संग लेकर 
सुनहरी ऊषा-किरण शत।
*

कोई टिप्पणी नहीं: