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बुधवार, 28 सितंबर 2016

muktak

मुक्तक:
हर रजनी हो शरद पूर्णिमा, चंदा दे उजियाला 
मिले सफलता-सुयश असीमित, जीवन बने शिवाला 
देश-धर्म-मानव के आयें काम सार्थक साँसें-
चित्र गुप्त उज्जवल अंतर्मन का हो दिव्य निराला

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