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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

samyik rachna

सामयिक रचना

चलचित्रागार में राष्ट्रगान क्यों?

राष्ट्रगीत का गान गर्व अनुभूति कराता
भारतीय हम एक हमेशा याद कराता
जन-मन-रंजन हित चलचित्र बनाये जाते
समय पूर्व हम पहुँच व्यर्थ ही समय गँवाते
राष्ट्रीय कानों में गूँजे हो सर ऊँचा
देश प्रेम गर नहीं झुकेगा मस्तक नीचा
बच्चों के कच्चे मन पर यह अंकित होगा
जो न रखेगा मान देश का दण्डित होगा
लगे कैमरे चित्र खींच लें, दोष बतायें
नागरिकों को फर्ज़ सदा हो याद कराएँ
ऊँच-नीच को मिटा करे स्थापित समता
मालिक नौकर हों न दूर, पल पाए ममता
स्त्री-पुरुष,धनी-निर्धन सब एक साथ मिल
देश गीत गुंजायें भारत मान जाए खिल
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Sanjiv verma 'Salil', 94251 83244
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

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