tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post231063961188001389..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : patrkar ya deshdrohi?Divya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-35963174718778723902014-10-02T08:56:19.104+05:302014-10-02T08:56:19.104+05:30कुसुम जी, मदन मोहन जी, घनश्याम जी धन्यवाद.
आभार क...कुसुम जी, मदन मोहन जी, घनश्याम जी धन्यवाद. <br />आभार कि आपने इस विषय को विमर्श योग्य समझा और विषय पर अपना मत व्यक्त किया। विमर्श की सार्थकता तभी है जब सहमति-असहमति के तथ्य और तर्क सामने आएं. <br />राजदीप के प्रश्नों में अन्तर्निहित भावना के निहितार्थ समझने में मुझे चूक हो सकती है किन्तु यहाँ चतुर्दिक आम जान [जिन्हें किसी दल या नेता से नहीं केवल देश से सरोकार है] इसी अर्थ में ले रहा है. वीडिओ सम्पादित है या नहीं अथवा इसमें दर्शित के आगे-पीछे क्या-कैसे जानकारी नहीं है. मैंने यहाँ दूरदर्शनी चैनलों पर जो देख-समझा उस पर आम नागरिक के नाते प्रतिक्रिया दी. <br />घनश्याम जी सम्मान करते हुए भी मैं राजदीप के सवालों में अन्तर्निहित भावना को उचित नहीं मानता। sanjivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-59445623630140897762014-10-02T08:55:54.689+05:302014-10-02T08:55:54.689+05:30Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.com
आचर्य सलिल ज...Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.com<br /> <br />आचर्य सलिल जी,<br /><br />सं०: आपका क्या विचार है?<br /> <br />आपका सुझाया http://www.youtube.com/watch?v=dqOHCxmf2akp देखा। मुझे इसमें ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जिससे राजदीप सरदेसाई का आचरण आपत्तिजनक लगे। उनका एक प्रश्न जिसे आपने उद्धरित किया और कोष्ठक में यह भी बताया कि प्रश्न पूछते समय वे क्या सोच रहे थे, यह है।<br /> <br />प्रश्न.आपके टिकिट का भुगतान किसने किया? (वह सोच रहे थे कि किराये की भीड़ तो नहीं है?)<br /> <br />पर भीड़ ने इस प्रश्न का उत्तर क्या दिया यह आप क्यों बताना भूल गये? सभी उपस्थित लोगों ने कहा कि उन्हें कोई खर्च नहीं करना पड़ा। दूरवर्ती शिकागो से आई महिला ने भी यही कहा। किराये की भीड़ और किसे कहते हैं? क्या न्यू जर्सी और फिलाडेल्फिआ से बसें भर कर मुफ्त में लोगों को न्यूयॉर्क ले जाने में कुछ बुराई थी? मैं नहीं जानता। पर किसी ने तो खर्च किया ही होगा। पर ये सब लोग अपने खर्चे से श्री मोदी को सुनने नहीं जाते, यह निश्चित है। प्रश्न अनुचित नहीं लगता। अपितु उचित ही लगता है कि बात को अनुमान पर न छोड़ दिया जाये।<br /> <br />राजदीप: क्या आप सोचते हैं कि एक आदमी भारत को बदल सकता है?<br /> <br />यह प्रश्न क्यों आपत्तिजनक लगता है? उत्तर तो स्पष्ट है कि “नहीं, चाहे वह एक व्यक्ति नरेन्द्र मोदी ही क्यों न हो”। प्रश्न अनावश्यक हो सकता है, पर आपत्तिजनक तो नहीं है। ऐसे open-ended प्रश्न अक्सर ही पत्रकारों द्वारा पूछे जाते हैं।<br /> <br />मुझे अधिकांश प्रश्न पत्रकारिता के मापदण्डों के विपरीत नहीं लगे। न कुकृत्य की, न ही देशद्रोह की बू आई। कुसुम जी, आप किस कुकृत्य की निंदा कर रही हैं? क्या पत्रकारों से भी व्यवस्था के पक्ष में (या विरोध में) नारे लगाने या लगवाने की अपेक्षा करनी होगी?<br /> <br />“राजदीप ने एक का कॉलर पकड़ लिया तो भीड़ उत्तेजित हो गयी और कैमरे उसे प्रसारित करने लगे”।<br /> <br />सलिल जी, बात को इतना आसान न समझें। मैंने वह सम्पादित विडिओ देखा है। यदि video evidence पर ध्यान देना हो तो आआपा के उस वाले को देखें जिसमें चार करोड़ रुपया व अन्य प्रलोभन देकर आआपा विधायक को भाजपा अपने पक्ष में कर रही थी। क्या भाजपा अपने उस कुकृत्य की ओर देखेगी? जनता को सत्य क्या है, बतायेगी? मोदी जी नहीं तो अमित शाह ही कुछ कहते? यह भी सम्भव है कि मुझे इस बारे में जानकारी कम हो, पर लगता नहीं है कि हाल की ही इस घटना को भाजपा ने शर्मनाक समझा हो।<br /> <br />श्री बंगारू लक्ष्मण का कृत्य जो http://www.youtube.com/watch?v=lsuUIRiVlsU पर देख सकते हैं और भी अधिक चिन्तनीय है। please pay attention to the “small gift for the new year party” and “you can give dollars” towards the end of the video.<br /> <br /> <br />- घनश्याम<br />१ अक्तूबर २०१४Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-29606136056567143422014-10-02T08:55:09.353+05:302014-10-02T08:55:09.353+05:30madanmohanarvind@gmail.com
आपके कथन से शब्दश: सह...madanmohanarvind@gmail.com<br /> <br />आपके कथन से शब्दश: सहमत ।Madan Mohan Sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-91389406685978956052014-10-02T08:54:19.922+05:302014-10-02T08:54:19.922+05:30
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
आदरणीय आचार्य जी,...<br />Kusum Vir kusumvir@gmail.com <br /> <br />आदरणीय आचार्य जी,<br />सच में राजदीप सरदेसाई ने अपने इस कुकृत्य से भारत को शर्मसार किया है l <br />मैं उसके इस कुकृत्य की निन्दा करती हूँ l <br />सादर,<br />कुसुमKusum Vir kusumvir@gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-59943386812925837412014-09-30T15:31:07.788+05:302014-09-30T15:31:07.788+05:30आदरणीय वर्माजी तथ्यात्मक प्रस्तुति के लिय आभार। र...आदरणीय वर्माजी तथ्यात्मक प्रस्तुति के लिय आभार। राजदीप सरदेसाई ही नहीं उसकी पत्नी बरखा सरदेसाई भी देशद्रोही है। 2002 के दंगों में इन दोनों को लगभग 50000000 डॉलर की राशि विदेश से मिली थी केवल इसलिए की केवल एक वर्ग पर अत्याचार दिखाने हैं दूसरे पर नहीं।2002 के दंगों के पूरे प्रोपगेंडा के जिम्मेदार यही दोनों हैं। आज राजदीप सरदेसाई एक राष्ट्रीय टीवी चैनल (आईबीएन 7) के प्रधान संपादक हैं और उसकी पत्नी बरखा सरदेसाई उसी टीवी चैनल (आईबीएन 7) की प्रधान उप संपादक हैं। पता नहीं क्या होगा इस देश का ? Bajrang Lal Choudharynoreply@blogger.com