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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

एक शे'र : आचार्य संजीव 'सलिल'

शिकवा न दुश्मनों से मुझको रहा 'सलिल'।

हैरत में हूँ दोस्तों ने प्यार से मारा।

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