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शुक्रवार, 26 मार्च 2010

* आयोजन सूचना : परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010

लखनऊ.  गोमती  के तट और सरयू के निकट उत्तर प्रदेश की  राजधानी लखनऊ में परिकल्पना: ब्लॉग उत्सव २०१०  का आयोजन अप्रैल में होने जा रहा है। श्री अविनाश वाचस्पति ने  इस परिप्रेक्ष्य में ध्येय वाक्य सुझाया है- 'अनेक ब्लॉग नेक हृदय !'

 उत्सव समस्त ऐंठन - अकडन भरी ग्रंथियों और खिंचाव - तनाव भरी मानसिक पीड़ा को दूर करने का एक सहज-सरल तरीका है। उत्सव पारस्परिक प्रेम का प्रस्तुतीकरण है ...!
 प्रेम तभी शाश्वत है जब वह सार्वजनिक और सर्वजनहितकारी हो । किसी संप्रदाय विशेष, वर्ग विशेष या जाति विशेष से बंधा न  हो अन्यथा उसकी शुद्धता नष्ट हो जाती है । प्रेम तभी तक शुद्ध है , जब तक सार्वजनिक, सार्वदेक्षिक, सार्वकालिक है । इसी प्रेम को पारस्परिक प्रेम की संज्ञा दी गयी है। पारस्परिक प्रेम जब सार्वजनिक हो जाता है तब उत्सव का रूप ले लेता है।

सभी चिट्ठाकारों को मिलकर प्रेम से लबालब ऐसा ही उत्सव मनाना है । आज के भौतिकवादी युग में हमारी पूर्व निश्चित धारणाएँ और मान्यताएँ हमारी आँखों पर रंगीन चश्मों की मानिंद चढी रहती है और हमें वास्तविक सत्य को अपने ही रंग में देखने के लिए बाध्य करती हैं । प्रेम के नाम पर हमने इन बेड़ियों को सुन्दर आभूषण की तरह पहन रखा है , जबकि सच्ची मुक्ति के लिए इन बेड़ियों का टूटना नितांत आवश्यक है। हमारा मंगल इसी में है कि हम समय-समय पर अपने-अपने वाद-विवाद को दरकिनार करते हुए उत्सव मनाएँ ।

इस उत्सव में हमारी कोशिश है कि हर वह ब्लोगर शामिल हो जिन्होंने कम से कम सौ पोस्ट के सफ़र को पूरा कर लिया है । यह गौरव हासिल करनेवाला हर ब्लोगर अपने ब्लॉग से एक श्रेष्ठ रचना का चयन करते हुए उसका लिंक ravindra .prabhat @gmail .com पर प्रेषित करें । हम आपके उस पोस्ट को प्रकाशित ही नहीं करेंगे अपितु विशेषज्ञों से प्राप्त मंतव्य के आधार पर प्रशंसित और पुरस्कृत भी करेंगे । इस लिंक में लेख, कहानी, कविता, गीत, ग़ज़ल, लघु कथा, साक्षात्कार, परिचर्चा, कार्टून, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, ऑडियो/वीडियो के लिंक आदि कुछ भी हो सकता है। यदि इसके संबंध में आपकी कोई अन्य जिज्ञासा हो तो उपरोक्त मेल श्री रवींद्र प्रभात से से पूछ सकते हैं । *