बच्चो के सपनो में,परियों की दुआ दीजिये
विवेक रंजन श्रीवास्तव
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर
जबलपुर
बच्चो के सपनो में,परियों की दुआ दीजिये
नींद चैन की हमको भी लौटा दीजिये
प्यार का पाठ पढ़ना , अगर अपराध हो
तो इस गुनाह में हमको भी सजा दीजिये
नहा के आये हैं ,पहने हैं कपड़े झक सफेद
गुलाल प्यार से थोड़ा सा लगा दीजिए
रोशनी की किरण सीधी ही चली आयेगी
छोटा सा छेद छत में , करा दीजिये
फैला रहा है मुस्करा, खुश्बू वो हवाओ में
इस फूल के पौधे कुछ और लगा दीजिये
बनें न नस्लवादी , और न आत्मघाती ही
इंसानी नस्ल में , इंसान रहने दीजिये
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 5 मार्च 2010
गुलाल प्यार से थोड़ा सा लगा दीजिए
सामाजिक लेखन हेतु ११ वें रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार से सम्मानित .
"रामभरोसे", "कौआ कान ले गया" व्यंग संग्रहों ," आक्रोश" काव्य संग्रह ,"हिंदोस्तां हमारा " , "जादू शिक्षा का " नाटकों के माध्यम से अपने भीतर के रचनाकार की विवश अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का दुस्साहस ..हम तो बोलेंगे ही कोई सुने न सुने .
यह लेखन वैचारिक अंतर्द्वंद है ,मेरे जैसे लेखकों का जो अपना श्रम, समय व धन लगाकर भी सच को "सच" कहने का साहस तो कर रहे हैं ..इस युग में .
लेखकीय शोषण , व पाठकहीनता की स्थितियां हम सबसे छिपी नहीं है , पर समय रचनाकारो के इस सारस्वत यज्ञ की आहुतियों का मूल्यांकन करेगा इसी आशा और विश्वास के साथ ..
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