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सोमवार, 5 अप्रैल 2010

खबरदार कविता: हमारी सरहद पर इंच-इंच कर कब्ज़ा किया जा रहा है --सलिल

खबरदार कविता:
खबर: हमारी सरहद पर इंच-इंच कर कब्ज़ा किया जा रहा है.
दोहा गजल:
संजीव 'सलिल'
कदम-कदम घुस रहा है, कर सरहद को पार.
हर हद को छिप-तोड़कर, करे पीठ पर वार..
*
करे प्यार से घात वह, हमें घात से प्यार.
बजा रहे हैं गाल हम, वह साधे हथियार..
*
बेहयाई से हम कहें, अब रुक भी जा यार.
घुस-घुस घर में मरता, वह हमको हर बार..
*
संसद में मतभेद क्यों?, हों यदि एक विचार.
कड़े कदम ले सके तब, भारत की सरकार.
*
असरकार सरकार क्यों?, हुई न अब तक यार.
करता है कमजोर जो, 'सलिल' वही गद्दार..
*
अफसरशाही राह का, रोड़ा- क्यों दरकार?
क्यों सेना में सियासत, रोके है हथियार..
*
दें जवाब हम ईंट का, पत्थर से हर बार.
तभी देश बच पायेगा, चेते अब सरकार..
*
मानवता के नाम पर, रंग जाते अखबार.
आतंकी मजबूत हों, थाम जाते हथियार..
*

7 टिप्‍पणियां:

Ravi Pratap Shahi ने कहा…

सलिल जी,

बहुते बढ़िया पोस्ट कईनी...रौवा कविता में त जान रहबे करेला..विषय भी एतना सटीक उठायीले कि मन बार , बार पढ़े के करेला...

चीनी , हिंदी भाई, भाई ... नारा देते देते....कई लाखो किलोमीटर जमीन देके....वो घरी चुप चाप बैठ गईल लोग,
तिब्बत ..एगो हिन्दुस्थान के प्रिय पडोसी के चीन ले लिहलस ....ईहो हिमात ना भएल कि कहे लोग कि कि इ चीन के हिस्सा ना ह ..
आजो रोज , चीन घुसत जात बा ...आ इ लोग खाली इतिहास ही रचे में लागल बा ...
जब चमचा लोग द्वारा कशीदा कढाला..नेहरु परिवार और कांग्रेस के त , ये देशद्रोही लोगन से पूछे कि इ बतिया भी वोहिमें काहे ना गवेल लोग....
भारतीय जनता पार्टी...बड़का देश भक्त लोगन के पार्टी बनेला......वोकरा राज में जब जार्ज फर्नांडिस चाइना जाये के पहिले एगो प्रेस कान्फरेंस में बोललन कि हम वोहिजा पहिला बात देश के छिनाल जमीन के बारे में करब...त सबे भड़क गईल...आ बेचारा के मुंहवा बंद करे के पडल....एहू लोग के हिमात ना भईल कि बात करे त...

आखिर कौना बात के बहादुर देश बाटे? जब जमीन , जयदात केहू ले सकेला त खाली एगो पाकिस्तान के लड़ाई जीत के कौन बहादुरी के बात होत बा.....
सब लोग शहीदन के मूर्ति लगावत बा..आ नवका पीढ़ी के बतावत बा..कि होशियारी येही बात में बा कि...थोडा दब के रहल जा...भले थोडा बहुत जमीन केहू लेले...मजबूत होखे त चुप रही जा...

नवीन भोजपुरिया ने कहा…

सलिल जी प्रणाम आ जय भोजपुरी

बहुत नीमन आ एगो अईसन मुद्दा पे राउर ई रचना बा जवना वजह से आज से ना पिछ्ला 50 साल से एह मुद्दा पे देश जल रहल बा । जहा तक चीन के बात बा त चीन से पहिले भी लडाई हो चुकल बा आ परिणाम सबके मालुम बा । आ चीन कवना नम्बर के धोखेबाज हवे उहो कहे के जरुरत नईखे।

जहा तक अभी के बात बा त मिडीया मे आजकल रोज पढे के मिलत बा ,जईसे की कुछ पत्थर लाल कईले रहलन स , फेरु भेड आ चरवाहा भेजत बाडन स , अरुणाचल प्रदेश खातिर ए डी बी बैंक से मंजुर भईल पईसा रोकत बाडन स ( बाद मे मंजुर हो गईल ) आ और भी बहुत कुछ ।



हम रउवा सब लेखा अनुभवी त नईखी आ नाही ढेर दुनिया देखले बानी लेकिन जेतना अनुभव बा वोह आधार पे हम आपन बात कहत बानी कि आज के समय मे भारत के चीन के संगे लडाई कईल कतहु से नीमन आ सही कदम हमरा नईखे लागत । एगो साधारण बात बा की हमनी के लगे अईसन कवनो मिसाईल नईखे जवन पुरा चीन के क्रास कई सके आ चीन के वोह सीमा पे जवन रुस से जुडत बा ओजुगा ले मार कई सके । अग्नि -5 के निर्माण अभी चल रहल बा आ अग्नि -5 मे ई क्षमता बा जवन रुस तकले जा सकेला ।

सैन्या क्षमता मे भी हमनी के ओतना बरियार नईखी , आ एगो चीज मे बरियार बानी जा आ उ बा जज्बा मे । 1962 मे शैतान सिंह आ उनुकर 200 आदमी 800 चीन के सिपाही के मुअईले रहल लो आ लोग कहेला की जब भारतीय सेना वोह जगह पे पहुचल त लगभग सब सिपाही के हाथ मे बम रहे भा बन्दुक के ट्रेगर पे अंगुरी रहे आ और भी बहुत कुछ । त ई जज्बा हमनी के सिपाही लोगन के लगे बा । लेकिन अईसन जज्बा हमनी के नेता लोगन के लगे नईखे ।


खैर नया पे जवन चीज निकल के आवत बा कि जवन विवादास्पद क्षेत्र तमांग के बा त प्रधानम्ंत्री के बयान आईल हा की तमांग पुरा तरह से भारत के क्षेत्र हवे आ वोह मे कवनो शंका नईखे ।


आज सीमा पे रोड बन रहल बा ( कुछ 30 - 40 कि मी तैयार हो गईल बा ) आ आसाम आ बाकी चीन के सीमा के जरी सेना खातिर हवाई अड्डा बन रहल बा , आ और भी विकास के काम हो रहल बा ।


चीन के भी हे बात के मालुम बा की अगर भारत अपना पे उतर आई त चीन के नामोनिशान त ना लेकिन अईसन बरबाद करी अईसन बरबाद करी की चीन के वोह चीज से सम्हरे मे बहुत टाईम लागी ।


अंत मे हम इहे कहब की जरुरत बा कि भारत एह सीमा विवाद पे आपन डिप्लोमेटिक पहलु के और मजबुत करे और साथ साथ मे सन्य क्षमता के और मजबुत करे काहे कि खतरा अकेले चीन नईखे , पाकिस्तान भी बा।


आ जवना हिसाब से भारत प्रगति कई रहल बा हम उम्मेद करत बानी कि भारत वोह मुकाम के पहुची जहवा से आंख देखावे वाला के आंख निकाल सको ।


धन्यवाद एक बार फेरु से राउर एह रचना खातिर ।


जय हिन्द जय भारत जय भोजपुरी

राउर आपने

नवीन भोजपुरिया

शशि रंजन मिश्र ने कहा…

सलिल जी,
प्रणाम आ जय भोजपुरी |
एह ख़बरदार कविता से रउआ हमनी के आँख खोल देनी, बाकि एह नेतवन के लीला में सब भुला जाई | कईगो समझौता पहिलहीं भईल रहे, साही जी कुछ उदहारण भी दे देले बानी हमनी के राजनितिक व्यवस्था पे |
संसद में मतभेद क्यों?, हों यदि एक विचार.
कड़े कदम ले सके तब, भारत की सरकार.



अगर बुरा ना मानब त हम एह नेतवन पे भड़ास निकालत बानी-

भारत की सरकार कहें तो, है हिजडों की फ़ौज,
देश के जनाजे में भी, सब उडा रहे हैं मौज |

जहाँ हिजडों का होता नाच, संसद है वो मंच,
देश द्रौपदी हो गया, दुशाशन हैं सब सरपंच |

किन्नरों के नृत्य में, क्या मिला कभी है ताल?
गीत अगर मालकोंस है, ढोलक पर बजे धमाल |

देश विभाजन, देश पर कब्ज़ा की चिंता करता कौन?
जब सुम ही मंत्री भये, फिर शैतान रहे क्यू मौन |

इंच इंच जमीं जा रहा, जैसे गलित हो कुष्ठ,
गर्दन में तलवार फंसा, प्रजातंत्र है सुस्त |

सलिल जी अगिला लाइन रउआ खातिर-

विनय शशि की सलिल से, करें कोई उत्जोग,
करें कविता की धार तेज, वीर रस संजोग |

सादर
शशि रंजन मिश्र

navin bhojpuriya. ने कहा…

बहुत खुब शशि भाई बहुत खुब

एक से एक बानी सभे , बेजोड बानी सभे

साधुवाद !

sudhir kumar ने कहा…

सलिल जी, एकदम वीर-रस से भरल बा एक-एक लाइन आ एक-एक शब्द...
एही तरह के कविता से शायद नेतवन पर त ना, लेकिन आम आदमी कुछ असर जरुर होई.

arsh singh ने कहा…

verma ji namastey

aap ne ek sahi mudda uthaya hai,
hamari sarhade hamaare sarkar ki laachari ke kaaran ghatati jaa rahi hain,chhota desh ho ya bada sabhi hamare desh ko kaayar samjh kar use hathiyaane ke pichhe pade hai ya hathiya liye hai,bharat mitrata karta hain aur uske padosi desh use kamjor samjhkar use loot rahe hai,
aakhir kab tak hum apni jamin lutwate rahenge hamaari dharti hamari maata hai uske daaman par koi videshi haath lagaye yah saha nahi jaata. magar hamaari vote ki rajniti waale apne vote bank ke liye desh ko bhi bech sakte hain apne maa ko bhi bech sakte hain unke baap ka kyaa jaata hian jo apna ghar bharna hi sirf jaante hain

thuuuu........ hain aise netavo par jo apni maa ko nahi bacha sake....




arsh

varun kumar ने कहा…

wah Salil Ji,

Bahut achha,
Ek-dam Gajab ke ba raur e post.