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बुधवार, 5 मई 2010

मत-अभिमत : स्त्री

women

women are like vehicles, everyone appreciate the outside beauty, but the inner beauty is embraced by her owner. - पायल शर्मा

स्त्री वाहन नहीं, संस्कृति की वाहक है.
मानव मूल्यों की स्त्री ही तो चालक है..
वाहन की चाबी कोई भी ले सकता है.
चाबी लगा घुमा कर उसको खे सकता है.
स्त्री चाबी बना पुरुष को सदा घुमाती.
जब जी चाहे रोके, उठा उसे दौडाती.
विधि-हरि-हर पर शारद-रमा-उमा हावी हैं.
नव दुर्गा बन पुजती स्त्री ही भावी है.
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

5 टिप्‍पणियां:

Navin C. Chaturvedi ने कहा…

आपकी भाषा जानी पहचानी सी लगती है |:

Raj Bhatia ने कहा…

बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता

Divya Narmada ने कहा…

स्त्री सदा 'नवीन' है, पुरुष सदा प्राचीन.
'राज' करे नाराज हो, यह उँगली वह बीन..

कौन 'चतुर्वेदी' जिसे, यह चतुरा न नचाय.
भाट बने जो 'भाटिया', का ख़िताब वह पाय..

नाच इशारों पर 'सलिल', तभी रहेगी खैर.
देव न दानव बच सके, स्त्री से कर बैर..

Navin C. Chaturvedi ने कहा…

बात करें यूँ सार की, लगती मगर अजीब |
उनका ही तो नाम है, वर्मा सलिल संजीव ||

Divya Narmada ने कहा…

बात सार की चाहता, करता जगत असार.

मतभेदों को पोसते, 'सलिल' न पालें प्यार..


है 'नवीन' जो आज वह, कल होता प्राचीन.

'राज' स्वराज विराजता, पर जनगण है दीन..