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शुक्रवार, 7 मई 2010

गीत: देश पे जान लुटाएंगे...... ---आचार्य संजीव 'सलिल'














गीत:      देश पे जान लुटाएंगे......     ---आचार्य संजीव 'सलिल'


जियें देश के लिए हमेशा, देश पे जान लुटाएंगे......
*
गुरु अफजल हों या कसाब हो,अपराधी हत्यारे हैं.
द्रोही हैं ये राष्ट्र-धर्म के, ज़हर बुझे दोधारे हैं..
पालेंगे हम अगर इन्हें तो, निश्चय ही पछतायेंगे-
बोझ धरा का दें उतार, धरती पर स्वर्ग बसायेंगे.
पाक बना नापाक अगर, हम नामो-निशाँ मिटायेंगे.
जियें देश के लिए हमेशा, देश पे जान लुटायेंगे......
*
औरों के अधिकार मानता जो उसको अधिकार मिले.
जो औरों का जीवन छीने, उसे सिर्फ तलवार मिले..
षड्यंत्री गद्दारों के प्रति दया-रहम अपराध है-
चौराहे पर सूली देना, देशभक्त की साध है..
व्यर्थ अपीलों का मौका दे, गलती क्यों दोहरायेंगे?...
जियें देश के लिए हमेशा, देश पे जान लुटायेंगे......
*

9 टिप्‍पणियां:

गुड्डोंदादी: ने कहा…

संजीव भाई! आशीर्वाद बहुत ही अच्छी भावपूर्ण है आपकी कवित प्रश्नं की कितने समझ पाते हैं

गुड्डोंदादी: ने कहा…

बात तो आपकी सरल है पर बहुत ही घने भाव है छुपे हुए कविता में

Narendra Vyas ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर मनोभावात्‍मक अभिव्‍यक्ति आचार्य श्री । पर आजकल देशभक्ति तो दूर, देशभक्ति के गीत भी सिर्फ राष्ट्रीय पर्व या चुनाओं में ही सुनने को मिलते हैं । आपकी ये देशभक्तिमय रचना दिल को सुकून देने वाली और एक सुखद अनुभूतियुक्‍त आशा जगाने वाली है । नमन आचायश्री ।।

Divya Narmada ने कहा…

शिक्षा और समाज में, हुआ उपेक्षित देश.
इसीलिये तो झेलते, हैं हम इतना क्लेश.
चाहे जो अपमान कर, दे जाता आदेश.
राष्ट्र-धर्म को भूलकर, आती शर्म न लेश..

narendra: ने कहा…

आती शर्म न लेश,देश की खाकर रोटी..
गाते गीत यहां के, लेकिन नीयत खोटी

देव कुमार झा … ने कहा…

बहुत अच्छी रचना.. देश-भक्ति से ओत-प्रोत...

षड्यंत्री गद्दारों के प्रति दया-रहम अपराध है-
चौराहे पर सूली देना, देशभक्त की साध है..

बहुत अच्छी पंक्तियां.

ब्लॉगर दिलीप … ने कहा…

josh bhar diya...kash ye josh jinda rahe...

ब्लॉगर Udan Tashtari … ने कहा…

शानदार!!

ब्लॉगर Dimpal Maheshwari … ने कहा…

जय श्री कृष्ण...आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा...बहुत अच्छा लिखा हैं आपने.....भावपूर्ण...सार्थक