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मंगलवार, 1 जून 2010

नवगीत: माँ जी हैं बीमार.... --संजीव 'सलिल'

नवगीत :
माँ जी हैं बीमार...
संजीव 'सलिल'
*
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*
माँ जी हैं बीमार...
*
प्रभु! तुमने संसार बनाया.
संबंधों की है यह माया..
आज हुआ है वह हमको प्रिय
जो था कल तक दूर-पराया..

पायी उससे ममता हमने-
प्रति पल नेह दुलार..
बोलो कैसे हमें चैन हो?
माँ जी हैं बीमार...
*
लायीं बहू पर बेटी माना.
दिल में, घर में दिया ठिकाना..
सौंप दिया अपना सुत हमको-
छिपा न रक्खा कोई खज़ाना.

अब तो उनमें हमें हो रहे-
निज माँ के दीदार..
करूँ मनौती, कृपा करो प्रभु!
माँ जी हैं बीमार...
*
हाथ जोड़ कर करूँ वन्दना.
अब तक मुझको दिया रंज ना.
अब क्यों सुनते बात न मेरी?
पूछ रही है विकल रंजना..

चैन न लेने दूँगी, तुमको
जग के तारणहार.
स्वास्थ्य लाभ दो मैया को हरि!
हों न कभी बीमार..
****

1 टिप्पणी:

प्रताप ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी

बोलो कैसे हमें चैन हो?
माँ जी हैं बीमार.... शायद सभी लोग इस स्थिति से गुजरे होंगे. मन कितना बेचैन हो जाता है .

सादर
प्रताप