कुल पेज दृश्य

सोमवार, 19 जुलाई 2010

मुक्तिका: ...लिख दे संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

...लिख दे

संजीव 'सलिल'
*
write-an-abstract-200X200.jpg



*
सच को छिपा कहानी लिख दे.
कुछ साखी, कुछ बानी लिख दे..

लोकनीति पहचानी लिख दे.
राजनीति अनजानी लिख दे..

चतुर न बन नादानी लिख दे.
संयम तज मनमानी लिख दे..

कर चम्बल को नेह नर्मदा.
प्यासा मरुथल पानी लिख दे..

हिन्दी तेरी अपनी माँ है.
कभी संस्कृत नानी लिख दे..

जोड़-जोड़ कर जीवन गुजरा.
अब हाथों पर दानी लिख दे..

जंगल काटे पर्वत खोदे.
'सलिल' धरा है धानी लिखदे..

ढाई आखर 'सलिल' सीख ले.
दुनिया आनी-जानी लिख दे..

'सलिल' तिमिर में तनहाई है
परछाईं बेगानी लिख दे..

*********
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

2 टिप्‍पणियां:

- shakun.bahadur@gmail.com ने कहा…

वाह, वाह सलिल जी!! तथ्यपूर्ण है।


शकुन्तला बहादुर

Prabodh Kumar Govil … ने कहा…

Prabodh Kumar Govil …

aakhir aapko dhoond hi liya.koi baat nahin ki main aapse bahut door,u.s. mein hoon.aapto jehan mein glob liye ghoom rahe hain.kahin to milenge.kabhi to milenge.