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सोमवार, 5 जुलाई 2010

आइये, सोचें-विचारें Let us think : विजय कौशल - संजीव 'सलिल'

चिंतन: 
Let us think :

विजय कौशल - संजीव 'सलिल'
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जिन्हें हमारी फ़िक्र, उन्हें हम रहे रुलाते.
रोये उनके लिए, न जिनके मन हम भाते..
करते उनकी फ़िक्र, न जिनको फ़िक्र हमारी-
है अजीब, पर सत्य समझ-स्वीकार न पाते..

'सलिल' समझ सच को, बदलें हम खुद को फ़ौरन.
कभी नहीं से देर भली, कहते विद्वज्जन..






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