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गुरुवार, 5 अगस्त 2010

हास्य मुक्तिका: तू इम्तिहां न ले मेरा संजीव 'सलिल

हास्य मुक्तिका:

तू इम्तिहां न ले मेरा

संजीव 'सलिल'
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तू इम्तिहां न ले मेरा, न मुझको फेल, पास कर.
न आजमाना तू मुझे, गले लगा उजास कर..

न तू मेरा, न मैं तेरा, ये सच तो जानते हैं हम.
न छूट पाये कुर्सियाँ, जुदा न हों प्रयास कर..

जो दूरियाँ हैं उनको रख परे, गले से लग भी जा.
वो कैमरे हैं सामने, आ मिल के अट्टहास कर..

तू कोस लेना फिर मुझे, मैं कोस लूँगा फिर तुझे.
ए भाई मौसेरे मेरे, न सत्यानाश आस कर..

है इब्तिदा न हार तू, न हारना है मुझको भी.
कमीशनों औ' रिश्वतों का लेन-देन ख़ास कर.. 

 
न बात में यकीन कर, है कर्म अपना देवता. 
न अपने-गैर में फरक, हो घोड़ा उनको घास कर..  

 
खलिश-'सलिल' पे कोई न उठ सकेगा उँगलियाँ.
है केर-बेर सँग यह, गोपियों से रास कर..
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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

3 टिप्‍पणियां:

गुड्डोदादी ने कहा…

गुड्डोदादी (:): padhee or hasee bhee nikal gyee khoob kararee baat likhe hai per ujaas ka kya arth hai

गुड्डोदादी: ने कहा…

गुड्डोदादी: vah vah kya baat hai

परमजीत सिँह बाली … ने कहा…

bahut badhiyaa!!