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शनिवार, 21 अगस्त 2010

मुक्तिका: बोलने से पहले संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

बोलने से पहले

संजीव 'सलिल'
*
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*
बोलने से पहले ले तोल.
बात होगी तब ही अनमोल.

न मन का राज सभी से खोल.
ढोल में सदा रही है पोल..

ठुमकियाँ दें तो उड़े पतंग.
न ज्यादा तान, न देना झोल..

भरोसा कर मत आँखों पर
दिखे भू चपटी पर है गोल..

सत्य होता कड़वा मत बोल.
बोल तो पहले मिसरी घोल..

फिजा बदली है 'सलिल' न भूल.
न बाहर रात-रात भर डोल..

'सलिल' तन मंदिर हो निर्मल.
करे मन-मछली तभी किलोल.
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दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

1 टिप्पणी:

गुड्डोदादी: ने कहा…

गुड्डोदादी: चिकागो में लाइव आकाशवाणी का कार्यक्रम आ रहा और आपकी मुक्तिता सुनायी आकाशवाणी बहुत लोग खुश हुए और आपको बधाई भेजी