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बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

बाल कविता: कोयल-बुलबुल की बातचीत --- संजीव 'सलिल'

बाल कविता:

कोयल-बुलबुल की बातचीत

संजीव 'सलिल'
*
कुहुक-कुहुक कोयल कहे: 'बोलो मीठे बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..

यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
वह बोली: 'जो बोलना उसमें मिसरी घोल'.

इसका मत: 'रख बात में कभी न अपनी झोल'.
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..


इसके डैने कर रहे नभ में तैर किलोल.
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..

यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..

***************

19 टिप्‍पणियां:

Babli ने कहा…

Babli :

बहुत सुन्दर! शानदार प्रस्तुती!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

डॉ. मोनिका शर्मा :

सुंदर बाल कविता.....

रानीविशाल ने कहा…

ये कोयल और ये बुलबुल दोनों ही कितनी समझदार है. इतनी प्यारी प्यारी बातों से हमें कितनी सुन्दर शिक्षा दे रही है .....बहुत सुन्दर, प्यारी रचना है नानाजी ....आपके ही जैसी :)
अनुष्का

Divya Narmada ने कहा…

मुझे तो ये अनुष्का और उसकी मम्मी जैसी लगीं जिनकी बातें सुनकर मैंने भी कुछ समझने-सीखने की कोशिश की है.

चैतन्य शर्मा ने कहा…

चैतन्य शर्मा :

कोयल और बुलबुल की बातें तो बड़ी प्यारी हैं.... चित्र भी सुंदर लगे....

rani.vishal@yahoo.com ने कहा…

RaniVishal Joshi

आपको पढ़ना मेरे लिए क्या है .....ये शब्दों में बयां कर पाना मेरे लिए बहुत कठिन है. ये बस एक अनुभव है जो महसूस किया जा सकता है ..यह प्रशंसा मात्र नहीं मेरी श्रद्धा है आपके लिए. आप यकीं नहीं मानेगे कहने को तो लिखने का शौक मुझे भी है लेकिन आपको पढ़ने के बाद अपनी रचनाए मुझे बाल साहित्य लगती है .....आप बार इतना रेज़ कर देते है कि और किसी को पढ़ने पर भी कभी कभार ही मैं उस माहौल से बहार हो पाती हूँ जो आपको पढ़ कर छा जाता है.
ये माँ सरस्वती का विशेष स्नेह है आप पर जो हमें दिखाई देता है .

Divya Narmada ने कहा…

माँ शारदा भी तो आपके माध्यम से ही आशीष बरसाती हैं. अपने पाठकों की नगण्य संख्या देखकर कभी-कभी लगता है कि यह रचनाकर्म निरर्थक तो नहीं किन्तु अनुष्का की पीढ़ी का ध्यान कर लगता है कि उन्हें शेह्स्थ मिलना ही चाहिए.

Neelam Mishra : ने कहा…

Neelam :

यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..
really nice poem ..................

Divya Narmada ने कहा…

कोयल बुलबुल से कहे: 'नीलम मेरी मित्र'.
बुलबुल बोली: 'पर्स में उसके मेरा चित्र'..

दोनों झगड़ें तो 'सलिल', घट जायेगा प्यार.
आप सम्हालें अब इन्हें, हो न सके तकरार..

धन्यवाद.

Pradeep ने कहा…

Pradeep Gupta .

bal kavita nahi yah to jeevan ke sachai hai.bado ki samagh me aa jaye yeh badi bat hai.

Divya Narmada ने कहा…

कोयल बुलबुल से कहे: 'रह प्रदीप के साथ.'
बुलबुल बोली: 'तम मिटे, मिला हाथ से हाथ'.

'सलिल' बड़ों से क्या कहे?, छोटे सीखें पाठ.
बड़े बनें तब याद कर, कर पाएंगे ठाठ..

धन्यवाद.

Ravi Malik : ने कहा…

wah...sundar ...bahut sundar

Ravi

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) :

बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट है!
--
बधाई!
--
आपकी पोस्ट को बाल चर्चा मंच में लिया गया है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/24.html

Divya Narmada ने कहा…

aap sabko dhanyavad.

priyank verma ने कहा…

bahut acchi poem.

Divya Narmada ने कहा…

हिंदयुग्म पर ''दोहा की कक्षाएं'' देखें, दोहा रचना पर कक्षा तथा कार्य शाला की ६४ कड़ियाँ हैं. सहित्याशिल्पी पर ''काव्य का रचना शास्त्र'' के अंतर्गत अलंकारों पर ७४ कड़ियों में ६९ अलंकारों की परिभाषा तथा उदाहरण हैं. दिव्यनर्मदा में हिन्दी शब्द सलिला के अंतर्गत नए शब्द कोष निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया है. इन्हें देखकर अपनी सम्मति दें. अन्य हिन्दीप्रेमियों को देखने हेतु प्रेरित करें. मुझे प्रशंसा की चाह नहीं है, न छद्म स्तुतिपरक टिप्पणियों की. जाने-अनजाने हो रही त्रुटियों, मुझे जो ज्ञात नहीं है ऐसी जानकारी अथवा पाठकों के लिये उपयोगी सामग्री जो मैं न दे रहा होऊँ जानने के लिये पाठकीय टिप्पणियाँ अनिवार्य हैं.
दि.न. पर करवा चौथ संबंधी रचना देखिये आपको रुचेगी.

Neelam Mishra . ने कहा…

Neelam :
hahahahaahah, salili ji aajkal dilli me bulbul dikhti hi nahi uska chitr wo bhi meri purse me ,kaash aisa ho pata .....................

निर्झर 'नीर': ने कहा…

निर्झर 'नीर :

BAL SAJAG - or नन्हा मन -
dono blogs par bahut si kavitayen or lekh padhe ,sundar ,marmik bal man ka chintan lekin ye kavita bahut hi dil ko chho gayii
bandhaii swikaren
aapka priyas sarahniy hai

Divya Narmada ने कहा…

कोयल-बुलबुल में बसा नन्हा मन हैरान.
बाल सजग संग भर रहा निर्झर नीर उड़ान..
नीर अकेला सलिल का आज बना है मीत.
दोनों मिलकर साथ रह सब जग लेंगे जीत..