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बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १३ अख से प्रारंभ शब्द : -- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : १३      संजीव 'सलिल'

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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अख से प्रारंभ शब्द : 

संजीव 'सलिल'
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अखंग - वि. न चुकनेवाला.
अखंड - वि. सं. संपूर्ण, अविकल, पूरा, अटूट, निर्बाध, बाधारहित, जिसका सिलसिला न टूटे. -द्वादशी- स्त्री. मार्गशीर्ष शुक्ला द्वादशी. -पाठ- आदि से अंत तक बिना रुके चलने वाला पाठ. -सौभाग्य- पु. स्त्री के जीवनांत तक पति का जीवित रहना, सधवा, विधवा न होना.
अखंडन - वि. सं. अखंडित, अखंडनीय, समूचा. पु. परमात्मा, काल,समय, स्वीकार, खंडन न करना.
अखंडनीय - वि. सं. जिसका खंडन न किया जा सके, सुदृढ़, अविभाज्य.
अखंडल - वि. अखंड, संपूर्ण. पु. आखण्डल, इंद्र.
अखंडित - वि. सं. अखंड, अटूट, अबाधित, जिसका खंडन न हुआ हो.
अखगरिया - पु. एक तरह का दोष (एब) युक्त घोड़ा.
अखज - वि. अखाद्य, न खाने योग्य, अभक्षणीय, अभोजनीय.
अखट्ट - पु. सं. प्रियाल वृक्ष.
अखट्टि - स्त्री. सं. बाल-कल्पना, असद्व्यवहार.
अखड़ा - पु. दे. ताल के बीच का गड्ढा, जो खड़ा न हो, बैठा / लेटा.
अखड़ैत - पु. पहलवान, मल्ल.
अखती - स्त्री. दे. देखें, अखतीज.
अखतीज - स्त्री. अक्षय तृतीया.
अखनी - स्त्री. यखनी, शोरबा, तरल मसाला, करी इं.
अखबार - पु. अर. खबर का बहुवचन, कई समाचार, समाचारों, समाचार पत्र, न्यूज पेपर इं. -नवीस- अखबार लिखनेवाला, पत्रकार, -नवीसी- स्त्री. पत्रकारी, पत्रकारिता, जर्नलिज्म इं.
अखबारी - वि. समाचार पत्र संबंधी, समाचार पत्र में छपी.
अखय - वि., दे., देखें अक्षय.
अखर - पु., दे., देखें अक्षर.
अखरना - अक्रि., खलना, बुरा लगना, काठी / कष्टप्रद अनुभव होना.
अखरा - पु., बिना कुटे जौ का आटा, अक्षर. वि. जो खरा (सच्चा) न हो, खोता / झूठा.
अखरावट - स्त्री. वर्णमाला, अक्षर क्रम, अल्फाबेट्स इं. अक्षरक्रम के अनुसार पद्य समूह, आद्याक्षरी काव्य, मालिक मुहम्मद जायसी रचित एक लघु ग्रंथ.
अखरावटी- स्त्री. अखरावट में निहित.
अखरोट - एक मेवा, अखरोट का पेड़. -जंगली- पु. जायफल.
अखर्व - वि. सं. जो छोटा या ठिगना न हो, बड़ा, लंबा, दीर्घ, महत. 
अखर्वा - स्त्री. सं. एक पौधा.
अख़लाक़ - पु. अर./ वि. शिष्ट / ता, शालीन / ता, सौजन्य / ता, सदाचार / रिता.
अखाड़ा - पु. कुश्ती लड़ने या कसरत करने का स्थान, व्यायामशाला, दंगल, जिम इं., सांप्रदायिक साधुओं की मंडली, साधुओं के रहने का स्थान, मठ, करतब दिखाने या गाने-बजानेवालों की जमात, सभा, दरबार, अड्डा, जमघट, आँगन, -इन्दर का अखाड़ा- नृत्यशाला, रंगशाला. मुहा. -गरम होना- अधिक भीड़ होना. -जमना- खिलाड़ियों व दर्शकों का अखाड़े में जमा होना, भीड़ जुटाना, अनेक व्यक्ति एकत्र होना, -अखाड़े का जवान- कसरती शरीर का व्यक्ति, स्वस्थ्य व्यक्ति, -अखाड़े में आना / उतरना- चुनौती देना, मुकाबले में उतरना, लड़ने के लिए तैयार होना, ललकारना.
अखाड़िया - वि. दंगली, पहलवान, मल्ल, अन्य मल्लों को पछाड़नेवाला, रेस्ट्लर इं.
अखात - पु. सं. प्राकृतिक झील, ताल, खाड़ी.
अखाद्य - वि. सं. अखाद्य, न खाने योग्य, अभक्षणीय, अभक्ष्य, अभोजनीय.
अखानी - स्त्री. कृषि में देंवरी के समय डंठल एकत्र करने का औजार.
अखार - पु. कुम्हार द्वारा मिट्टी का सामान बनाने के लिए चके / चाक पर रखा जानेवाला मिट्टी का लोंदा (चिकनी मिट्टी के महीन चूर्ण को पानी में सानकर बने गया गोला).
अखारा - पु. दे. देखें अखाड़ा.
अखिन्न - वि ,खेदरहित, क्लेशरहित, अक्लांत, प्रसन्न.
अखिल - वि. सं. सकल, सब, समस्त, संपूर्ण, सारा, कृषि-योग्य / कृष्ट भूमि.
अखिला - वि. अविकसित, अप्रसन्न, मुर्झाया.
अखिलात्मा /त्मन - पु. सं. ईश्वर, चित्रगुप्त, परमात्मा, विश्वात्मा.
अखिलेश - पु. सं. चित्रगुप्त, परमेश्वर, सबका स्वामी.
अखीन - वि. अक्षीण, न छीजनेवाला, अविनाशी.
अखीर - पु. अर. अंत, समाप्ति, खात्मा उ., एंड इं.
अखीरी - वि. अखीरका, अंतिम, आख़िरी, ईश्वरी.
अखुटित - लगातार, निरंतर, बराबर, सतत.
अखूट - वि. अखंड, जो खंडित / क्षतिग्रस्त न हो, जो घटे नहीं, अक्षय, अक्षर, अत्यधिक, अविनाशी, अनंत. 
अखेट - पु. देखें आखेट.
अखेटक - पु. देखें आखेटक.
अखेटिक - पु. सं. वृक्ष, वह कुत्ता जिसे शिकार का पीछा करना सिखाया गया हो, शिकारी कुत्ता. 
अखेद - पु. सं. दुःख / खेद का अभाव, प्रसन्नता, खुशी, हर्ष. वि. प्रसन्न, खुश, हर्षित, दुःखरहित. अ.प्रसन्नता / हर्ष पूर्वक / सहित.
अखेदी / दिन - वि. सं. अक्लांत, जो थका न हो, स्त्री. अखेदिनी.   
अखेलत - जो खेलता न हो, अचंचल, स्थिर, आलस्ययुक्त.
अखै - वि. देखें अक्षय. -बट-, -वट-, -बर-, -वर- अक्षय वट.     





अखैनी - स्त्री. सुखाने के लिये डंठल उलटने की लग्गी.
अखोर - वि. निकम्मा, बेकाम, तुच्छ, पु. बेकार वस्तु, कूड़ा-करकट, ख़राब घास, कचरा.
अखोला - पु. अंकोल वृक्ष.
अखोह - पु. ऊबड़-खाबड़ / बंजर / अनूपजाऊ भूमि.
अखौट / अखौटा - चक्की / जाँते की किल्ली, गडारी का डंडा.
अख्खाह - अ. अर. आश्चर्यसूचक उद्गार, बहुत खूब.
अख्ज - पु. अर. ग्रहण करने / लेने / पकड़ने / स्वीकारने का भाव. मुहा.-करना-ग्रहण करना, नतीजा निकालना, बूझना, बात से बात निकलना.    
अख्तर - पु. अर. तरा, झंडा,-शुमार- पु. ज्योतिषी.-शुमारी-स्त्री. जन्मपत्री / कुण्डली बनाना, बेकरारी से / जागते हुए रात काटना. मुहा.-चमकना- नसीब जागना, भाग्योदय.
अख्तियार - पु. देखें इख्तियार.   
अख्यात - वि. सं. अप्रसिद्ध, अप्रतिष्ठित, अविदित.
अख्यान - पु. देखें आख्यान.
अख्यायिका - स्त्री. देखें आख्यायिका.

1 टिप्पणी:

रानीविशाल ने कहा…

दिव्य नर्मदा अपने नाम के ही अनुरूप महान दिव्य नर्मदा की ही तरह दिव्य, सतत, निर्बाध और अथाह है जहाँ आकर ज्ञान गंगा में डूबकी लगाने की अनुभूति होती है .....बहुत कुछ सीखने को मिला और मिलता रहेगा आपके इस महान कार्य के लिए धन्यवाद शब्द बहुत छोटा सा प्रतीत होता है .
आभार