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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

इस्लाम के पांच स्तम्भ: ------ मीनाक्षी पन्त

इस्लाम के पांच स्तम्भ

मीनाक्षी पन्त   


            इस्लाम के बारे मै जानकारी थोड़ी सी जानकारी जुटा कर आपके साथ बाँटने लाई हूँ अगर इसमें कोई कमी-बेशी हुई तो माफ़ी भी चाहूंगी |
             सुना है इबादत की जिंदगी तो इन्सान पूरी जिंदगी जीता है | इस्लाम धर्म में पाँच ऐसी चीज़े हैं जो अहमियत रखती हैं | पैगम्बर ए  इस्लाम ने फरमाया था ... इस्लाम की बुनियाद पाँच चीजों पर कायम है | १. परमेश्वर के सिवा कोई वन्दनीय  नहीं है और मुहम्मद... परमेश्वर के दूत और भक्त (पैगम्बर)हैं | २. नमाज़ कायम करना, ३.जकात अदा करना, ४.हज पूरा करना और ५.रमजान के रोजे रखना | 
             ये पांचों स्तम्भ ( pillars ) हैं जिनके ऊपर इस्लाम की इमारत खड़ी है | जिस प्रकार बिना स्तम्भ के इमारत का खड़े रहना मुमकिन नहीं हो सकता उसी तरह इन पाँच बातों को अपनाये  बिना इस्लाम को मानना सम्भव नहीं | इस्लाम को अपनाने का मतलब  इन पाँचों को अपने जीवन में अपनाना है. | जिस प्रकार बिना रूह के शरीर बेजान है तो उसी प्रकार इन पंचों नियमों का पालन किये बिना इस्लाम धर्म अपनाने का कोई मतलब नहीं , बाक़ी सब अपनी भावना के अनुसार उस रूप में ढालने से है | 
१.  शहादत- खुदा को इबादत ( विनती ) करके पा लेना, खुदा पर विश्वास रखना |
२.  नमाज़- दिन मै पांच बार नमाज़ पढ़ना और लोगों की गल्तियों को माफ़ करके उनकी मदद करना |
३.  रोज़ा-    रमजान के एक महीने तक ११ साल से ऊपर के सभी व्यक्तिको बिना खाये-पीये व्रत तथा कुछ और चीजों पर भी संयम रखें |
४. ज़कात- अपनी कमाई से किसी संस्था को पैसा देकर गरीब लोगों की मदद करना | 
५.हज-  एक बार हज की तीर्थ-यात्रा करना | इस तीर्थयात्रा में स्त्री-पुरुष दोनों को जाना होता है | हजयात्रा का उद्देश्य अपने अन्दर से खुदा के प्रति उत्पन्न हुआ प्यार है | हज यात्रा का बखान नहीं करना चाहिए यह आत्म  शुद्धि हेतु की जाती है | 
             तेरी रहमत का जो हर तरफ असर हो जाये 
               सबकी जिन्दगी फिर खुश गवार हो जाये 
              दिखादे अब तू ही कोई रास्ता ये खुदा 
           की सबकी जिन्दगी फिर से गुलज़ार हो जाये 
           तू जो है ...तो हर तरफ नूर ही नूर बरसता है 
            इन्सान के ज़ज्बे मै उफान सा एसा दिखता  है 
               तेरे रहमों करम की ही तो ये बारिश है 
           जिसकी खुशबु  से सारा आलम यूँ  महकता है 
        किस कदर सारा काम चुटकियों मै तू कर गुजरता है 
           सारी कायनात को तू बस मै करके चलता है 
         तेरे इस ज़र्रानवाज़ी के तो हम भी तो हैं कायल
         तभी तो हर इक शख्श का तू ही इक सवाली है |

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