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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

बासंती दोहा ग़ज़ल: संजीव 'सलिल'

बासंती दोहा ग़ज़ल  (मुक्तिका)                                                                                                     

संजीव 'सलिल'
*
स्वागत में ऋतुराज के, पुष्पित शत कचनार.
किंशुक कुसुम विहँस रहे, या दहके अंगार..

पर्ण-पर्ण पर छा गया, मादक रूप निखार.
पवन खो रहा होश निज, लख वनश्री श्रृंगार..

महुआ महका देखकर, चहका-बहका प्यार.
मधुशाला में बिन पिए, सिर पर नशा सवार..

नहीं निशाना चूकती, पंचशरों की मार.
पनघट-पनघट हो रहा, इंगित का व्यापार..

नैन मिले लड़ मिल झुके, करने को इंकार.
देख नैन में बिम्ब निज, कर बैठे इकरार..

मैं तुम यह वह ही नहीं, बौराया संसार.
फागुन में सब पर चढ़ा, मिलने गले खुमार..

ढोलक, टिमकी, मँजीरा, करें ठुमक इसरार.
फगुनौटी चिंता भुला. नाचो-गाओ यार..

घर-आँगन, तन धो लिया, अनुपम रूप निखार.
अपने मन का मैल भी, किंचित 'सलिल' बुहार..

बासंती दोहा ग़ज़ल, मन्मथ की मनुहार.
सीरत-सूरत रख 'सलिल', निर्मल सहज सँवार..

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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

9 टिप्‍पणियां:

Dr.M.C. Gupta ✆ ekavita ने कहा…

अति अनुपम, संजीव जी.

--ख़लिश

Neelu Sinha ने कहा…

bahut achchhi kavita sanjiv

- madanmohanarvind@gmail.com ने कहा…

महुआ महका देखकर, चहका-बहका प्यार.
मधुशाला में बिन पिए, सिर पर नशा सवार..
अद्भुत कल्पना है, अद्भुत शैली,
सादर
मदन मोहन 'अरविन्द'

Om Prakash Nautiyal ने कहा…

वाह! अति उत्तम !!

achal verma ekavita ने कहा…

यहाँ तो अभी सर्दी ही है "सलिल जी"
पर आपके इस कविता ने बहार ला दिया
ढेरों धन्यबाद |

Your's ,

Achal Verma

sn Sharma ✆ ekavita ने कहा…

धन्य है आपकी कलम को सलिल जी !
इन दोहों में तो आपने कूट कूट कर
बासंती रंग भरे और पाठकों को रँग दिये |
साधुवाद |
कमल

kusum sinha ekavita ने कहा…

priy sanjiv ji
namaskar
aapki kavita ki prashansa ke liye shabd kam pad rahe hain sundar ati sundar
badhai
kusum

Divya Narmada ने कहा…

धन्यवाद है आपको, बढ़ा रहे उत्साह.
रहें दिखाते 'सलिल' को, ऐसे ही नित राह..

Rakesh Khandelwal ekavita ने कहा…

संजीवजी

सुन्दर वर्णन है ऋतुराज का

लेकिन

आपने कहा बसन्त, पर यहां महक नहीं
सूरज की किरणों पे शीत ही सवार है
कहीं नहीं दिखता है फूल एक सरसों का
जिस तरफ़ भी देखिये तुषार ही तुषार है

सादर

राकेश