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बुधवार, 2 मार्च 2011

द्वादश ज्योतिर्लिंग / बारह ज्योतिर्लिंग हिंदी अनुवाद: संजीव 'सलिल'

द्वादश ज्योतिर्लिंग / बारह ज्योतिर्लिंग

 हिंदी अनुवाद: संजीव 'सलिल'
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सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम.
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरं.१.

सोमनाथ सौराष्ट्र में, मलिकार्जुन श्रीशैल.
ममलेश्वर ओंकार में, महाकाल उज्जैन.१.

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरं.
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने.२.

भीमशंकर डाकिन्या, परलय वैद्येश.
नागेश्वर दारुकावन, सेतुबंध रामेश.२.


वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे.
हिमालय तु केदारं घुश्मेशं तु शिवालये.३.

तीर गौतमी त्र्यम्बक, काशी में विश्वेश.
केदारेश्वर हिमालय, शिव-आले घुश्मेश.३.

एतानि ज्योतिर्लिन्गानी सायं-प्रातः पठेन्नरः.
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति.४.

बारह ज्योतिर्लिंग का पाठ सवेरे-शाम.
'सलिल' पाप शत जन्म के मिटा, देत शिव-धाम.४.

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5 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

धन्यवाद इस पावन पाठ के हिन्दी अनुवाद के लिये।

निर्मला कपिला ने कहा…

धन्यवाद इस पावन पाठ के हिन्दी अनुवाद के लिये।

-सर्जना शर्मा ने कहा…

-सर्जना शर्मा- :

तांडव स्त्रोत सुनने में जितना अच्छा लगता है उतना ही कठिन भी है महाशिवरात्रि पर आपने ये लिखा धन्यवाद

कमल ने कहा…

sn Sharma ✆
ekavita

आदरणीय आचार्य जी,
शिव-तांडव स्तोत्र की लय-ताल अपने में अनोखी है , जिसका समुचित आनंद उसी लय-ताल में गा व सुन कर मिलता है |

मेरे पिताश्री शिव-तांडव स्तोत्र का एक ऐसा हिंदी रूपांतरण ताली बजाते कभी-कभी गा कर सुनाते थे जिसकी लय-ताल बिलकुल वही थी जो मूल संस्कृत श्लोकों की है | हम सब भाव-विभोर हो जाते थे | मैंने बाद में अनेक पद्यबद्ध अनुवाद सुने तो पर उस अनुवाद का आनंद नहीं पाया | अब तो मूल भाषा में ही गा कर आत्मानंद मिलता है |

यह रावण-रचित और तन्मयता से गयी हुई स्तुति से ही उसे प्रभु का साक्षात्कार हुआ था |

मन जब बहुत क्षुब्ध होता है तो देवाधिदेव
शंकर जी के कुछ स्तोत्रों, जिनमें एक की रचना तो स्वयं श्रीराम ने की थी , सस्वर गा कर बड़ी
तृप्ति, मोह-भंग और मार्गदर्शन मिलता है |

आपके अनुवाद द्वारा स्तोत्र के अर्थों पर और भी ज्ञान-वर्धन हुआ |

आपकी रचना को नमन |
सादर
कमल

ganesh ji bagee ने कहा…

सुंदर अनुवाद |