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मंगलवार, 14 जून 2011

सामयिक दोहा मुक्तिका: संदेहित किरदार..... संजीव 'सलिल * लोकतंत्र को शोकतंत्र में, बदल रही सरकार. असरदार सरदार सशंकित, संदेहित किरदार.. योगतंत्र के जननायक को, छलें कुटिल-मक्कार. नेता-अफसर-सेठ बढ़ाते, प्रति पल भ्रष्टाचार.. आम आदमी बेबस-चिंतित, मूक-बधिर लाचार. आसमान छूती मंहगाई, मेहनत जाती हार.. बहा पसीना नहीं पल रहा, अब कोई परिवार. शासक है बेफिक्र, न दुःख का कोई पारावार.. राजनीति स्वार्थों की दलदल, मिटा रही सहकार. देश बना बाज़ार- बिकाऊ, थाना-थानेदार.. अंधी न्याय-व्यवस्था, सच का कर न सके दीदार. काले कोट दलाल- न सुनते, पीड़ित का चीत्कार.. जनमत द्रुपदसुता पर, करे दु:शासन निठुर प्रहार. कृष्ण न कोई, कौन सकेगा, गीता-ध्वनि उच्चार? सबका देश, देश के हैं सब, तोड़ भेद-दीवार. श्रृद्धा-सुमन शहीदों को दें, बाँटें-पायें प्यार.. सिया जनास्था का कर पाता, वनवासी उद्धार. सत्ताधारी भेजे वन को, हर युग में हर बार.. लिये खडाऊँ बापू की जो, वही बने बटमार. 'सलिल' असहमत जो वे भी हैं, पद के दावेदार.. 'सलिल' एक है राह, जगे जन, सहे न अत्याचार. अफसरशाही को निर्बल कर, छीने निज अधिकार.. *************

सामयिक दोहा मुक्तिका:
संदेहित किरदार.....
संजीव 'सलिल
*
लोकतंत्र को शोकतंत्र में, बदल रही सरकार.
असरदार सरदार सशंकित, संदेहित किरदार..

योगतंत्र के जननायक को, छलें कुटिल-मक्कार.
नेता-अफसर-सेठ बढ़ाते, प्रति पल भ्रष्टाचार..

आम आदमी बेबस-चिंतित, मूक-बधिर लाचार.
आसमान छूती मंहगाई, मेहनत जाती हार..

बहा पसीना नहीं पल रहा, अब कोई परिवार.
शासक है बेफिक्र, न दुःख का कोई पारावार..

राजनीति स्वार्थों की दलदल, मिटा रही सहकार.
देश बना बाज़ार- बिकाऊ, थाना-थानेदार..

अंधी न्याय-व्यवस्था, सच का कर न सके दीदार.
काले कोट दलाल- न सुनते, पीड़ित का चीत्कार..

जनमत द्रुपदसुता पर, करे दु:शासन निठुर प्रहार.
कृष्ण न कोई, कौन सकेगा, गीता-ध्वनि उच्चार?

सबका देश, देश के हैं सब, तोड़ भेद-दीवार.
श्रृद्धा-सुमन शहीदों को दें, बाँटें-पायें प्यार..

सिया जनास्था का कर पाता, वनवासी उद्धार.
सत्ताधारी भेजे वन को, हर युग में हर बार..

लिये खडाऊँ बापू की जो, वही बने बटमार.
'सलिल' असहमत जो वे भी हैं, पद के दावेदार..

'सलिल' एक है राह, जगे जन, सहे न अत्याचार.
अफसरशाही को निर्बल कर, छीने निज अधिकार..

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1 टिप्पणी:

Rajni Saxena ने कहा…

Rajni Saxena, हिंदी चाहे सुरक्षा.
लिये खडाऊँ बापू की जो, वही बने बटमार...bilkul sach
2:29pm Jun 14