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रविवार, 26 फ़रवरी 2012

दोहा सलिला: दोहा कहे मुहावरा - २... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला: 
दोहा कहे मुहावरा - २...
संजीव 'सलिल'
*
किसके 'घायल पाँव' हैं'?, किसके 'भारी पाँव'?
'पाँव पूजना' सार्थक, व्यर्थ 'अडाना पाँव'.३१.
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'अपने मुंह मिट्ठू मियाँ, बने'  हकीकत भूल. 
खुद को कोमल कहे ज्यों, पैना शूल  बबूल.३२.
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'रट्टू तोता बन' करें, देश-भक्ति का जाप.
देश लूटकर कर रहे, नेताजी नित पाप.३३.
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'सलिल' न देखी महकती, कभी फूल की धूल.
किन्तु महक खिलता मिला, सदा 'धूल का फूल'.३४.
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'जो जागे सो पा रहा', कोशिश कर-कर लक्ष्य.
'जो सोता खोता वही', बनता भक्षक भक्ष्य.३५.
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'जाको राखे साइयाँ', बाको मारे कौन?
'नजर उतारे' व्यर्थ तू, लेकर राई-नोंन.३६.
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'अगर-मगर कर' कर रहे, पाया अवसर व्यर्थ.
'बना बतंगड़ बात का, 'करते अर्थ-अनर्थ'.३७.
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'चमड़ी जाए पर नहीं दमड़ी जाए' सोच.
'सूंघ अंगुरिया' जो रहे, उनमें व्यापी लोच.३८.
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कुछ से 'राम-रहीम कर', कुछ से 'कर जय राम'.
'राम-राम' दिल दे मिला, जय-जय सीताराम.३९. 

'सर कर' सरल, न कठिन तज, कर अनवरत प्रयास.
'तिल-तिल जलकर' दीप दे, तम हर धवल उजास.४०.


2 टिप्‍पणियां:

dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com ने कहा…

dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com

ekavita


आदरणीय सलिल जी,
आपके प्रयोगों से अभिभूत हूँ। दोहा विधा में आप सिद्धहस्त हैं। बधाई स्वीकारें।
सादर

धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’

sanjiv 'salil' ने कहा…

apki gun grahakta aur audarya ko naman. main vidyarthee matr hoon,likhna seekh raha hoon. aap jaise suhridjanon se marg darshan milta hai.