एगो भोजपुरी होली गीत
आनन्द पाठक,जयपुर
होली में मनवा जोहत रहS गईलस. केकरा से जा के तू रंगवा लगऊलु
काहे केS मुँहवा बनऊलु ?
रामS के संग होली सीता जी खेललीं ,’राधा जी खेललीं तS कृश्ना से खेललीं
होली के मस्ती में डूबलैं सब मनई नS अईलु तS तोहरे फ़ोटुए से खेललीं
सँवरिया ! केकरा से चुनरी रंगऊलु ?
’रमनथवा’ खेललस ’रमरतिया’ के संगे, ’मनतोरनी ’ खेललस संघतिया के संगे
दुनिया नS कहलस कछु होली के दिनवा ,खेललस ’जमुनवा’ ’सुरसतिया’ के संगे
नS अंगवा से अंगवा लगउलु
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