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सोमवार, 11 जून 2012

बाल कविता, कोयल-बुलबुल की बातचीत --संजीव 'सलिल'


बाल कविता:

कोयल-बुलबुल की बातचीत

संजीव 'सलिल'
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कुहुक-कुहुक कोयल कहे: 'बोलो मीठे बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..

यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
वह बोली: 'जो बोलना उसमें मिसरी घोल'.

 
 
इसका मत: 'रख बात में कभी न अपनी झोल'.
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..

इसके डैने कर रहे नभ में तैर किलोल.
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..

यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..

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Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

4 टिप्‍पणियां:

deepti gupta ✆ ने कहा…

drdeepti25@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


शिक्षाप्रद और बहुत सुन्दर बालकविता !
बधाई..!
सादर,
दीप्ति

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com ने कहा…

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com avyadhara


आ० आचार्य जी,
अति सुन्दर बाल-दोहे ! साधुवाद
सादर
कमल

Santosh Bhauwala ✆ ने कहा…

Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


आदरणीय आचार्य जी ,प्रेरणास्पद बाल दोहे मन को भाये !नमन
सादर संतोष भाऊवाला

kusum sinha ✆ ने कहा…

kusumsinha2000@yahoo.com ekavita


priy salil ji
aapki rachnao ki jitni bhi tarif karun kam hi hoga bahut khub bahut sundar aur navinata liye bhi
kusum