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सोमवार, 16 जुलाई 2012

कविता सब से मधुर संगीत ---लक्ष्मीनारायण गुप्त

कविता 




सब से मधुर संगीत

 
---लक्ष्मीनारायण गुप्त
*
सुने हैं मैंने बहुत सारे वाद्य
बहुत सारे संगीत
हिन्दुस्तानी, कर्नाटक
पाश्चात्य पक्का संगीत
ऑपेरा, राक
जैज़ और लोक संगीत
बोलीवुड ,होलीवुड
ग़ज़ल और गीत
मन को सब भाए हैं 
सुन-गुनकर 
बहुत सुख पाए हैं
किन्तु सब से मधुर संगीत
मैं ने जो पाया है
धेवतों की किलकारियों ने
मन भरमाया है
रेशम और एका के सुनहरे बोल
नाना के कानों को 
लगते अनमोल
कृतज्ञ हूँ 
मैंने बहुत कुछ पाया है
सबसे मधुर संगीत 
नातियों ने सुनाया है


Laxmi Gupta  lngsma@rit.edu

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