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गुरुवार, 5 जुलाई 2012

मनहरण कवित्त: - अनिल कुमार वर्मा

मनहरण कवित्त भारतीय रीति लिये जन-गण प्रीति...

6:29pm Jul 5
मनहरण कवित्त
अनिल कुमार वर्मा

भारतीय रीति लिये जन-गण प्रीति लिये,

कुशल प्रतीति युक्त नीति की डगर हो.
कामना को पाँव मिलें भावना को ठाँव मिलें,
कल्पना के गाँव बसी साधना प्रवर हो.
जीवन की नाव बढ़े भव सिंधु में अबाध,
प्रबल प्रवाह हो या भीषण भँवर हो.
प्रार्थना यही है मातु वीणापाणि बारबार,
कालजयी गीत लिखूं कोकिल सा स्वर हो.

1 टिप्पणी:

salil ने कहा…

सार्थक, सरस तथा शुद्ध छंद रचना हेतु अशेष बधाई.