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सोमवार, 16 जुलाई 2012

मौसमी कविता: झम झम बरसै पानी - एस. एन. शर्मा 'कमल'

मौसमी कविता: 
 
 
झम झम बरसै पानी
 




- एस. एन. शर्मा 'कमल'

बदरा आये वर्षा लाये चलै पवन मस्तानी
दामिनि दमकै हियरा दरकै झम झम बरसै  पानी
                                  
हाय,  झम झम बरसै पानी

धरती की छाती गदराई लखि पावस की तरुणाई

पात पात डोलै पुरवाई डार डार कोयल बौराई
बुलबुल चहकै बेला महकै नाचै मुदित मोर अभिमानी
                                    हाय , झम झम बरसै पानी

कलियन पर अलियन की गुन गुन सरगम छाये बगियन में
झूम झूम कजरी गाने की होड़ मचि रही सखियन में
उनके  अल्हड़पन  पर  चुपके आई  उतर  जवानी
                                  हाय झम झम बरसै पानी

बाग़ बगीचे हुए पल्लवित वन उपवन हरियाली छाई
ताल तलैयाँ उफनाये सब बाँस बाँस नदिया गहराई
दादुर मोर पपीहा बोलै  कोयल कूकै बनी दीवानी                                 
                               हाय, झम झम बरसै पानी

ठौर ठौर पर आल्हा जमते बजते ढोल नगाड़े
रस फुहार में नाच नाच रसिया गाते मतवारे
खनक उठी गगरी पनघट पर बोलैं बोल सयानी
                                हाय, झम झम बरसै पानी

पायल बिछिया कंगना बिंदिया कब से कहा था लाने
पर तुम टस से मस न हुए बस करते रहे बहाने
मैं मर गई निहोरे कर कर तुमने एक न मानी
                             हाय झम झम बरसै पानी

कनखी मारै लाज न आवै मटकै सांझ सबेरे
दैय्या रे दैय्या हाय रे मैय्या कागा बैठ मुंडेरे 
बार बार चितवै हरजाई बोलै बानि  अजानी
                           हाय, झम झम बरसै पानी

           बदरा आये वर्षा लाये चलै पवन मस्तानी
           दामिनि दमकै हियरा दरकै  झमझम बरसै पानी


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- sn Sharma  ahutee@gmail.com

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