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शनिवार, 14 जुलाई 2012

गीत: हारे हैं... संजीव 'सलिल'

गीत:

हारे हैं...





संजीव 'सलिल'
*
कौन किसे कैसे समझाए
सब निज मन से हारे हैं?.....
*



इच्छाओं की कठपुतली हम
बेबस नाच दिखाते हैं.
उस पर भी तुर्रा यह खुद को
तीसमारखाँ पाते हैं.
रास न आये सच कबीर का
हम बुदबुद गुब्बारे हैं...
*


बिजली के जिन तारों से
टकरा पंछी मर जाते हैं.
हम नादां उनसे बिजली ले
घर में दीप जलाते हैं.
कोई न जाने कब चुप हों
नाहक बजते इकतारे हैं...
*


पान, तमाखू, जर्दा, गुटका,
खुद खरीदकर खाते हैं.
जान हथेली पर लेकर
वाहन जमकर दौड़ाते हैं.
'सलिल' शहीदों के वारिस,
या दिशाहीन गुब्बारे हैं...
*



करें भोर से भोर शोर हम,
चैन न लें, ना लेने दें.
अपनी नाव डुबाते, औरों को
नैया ना खेने दें.
वन काटे, पर्वत खोदे,
सच हम निर्मम हत्यारे है...
*




नदी-सरोवर पाट दिये,
जल-पवन प्रदूषित कर हँसते.
सर्प हुए हम खाकर अंडे-
बच्चों को खुद ही डंसते.
चारा-काँटा फँसा गले में
हम रोते मछुआरे हैं...
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



6 टिप्‍पणियां:

Dr.M.C. Gupta ✆ ने कहा…

mcgupta44@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita


सलिल जी,

बहुत सुंदर रचना है, विशेषत:----



इच्छाओं की कठपुतली हम
बेबस नाच दिखाते हैं.
उस पर भी तुर्रा यह खुद को
तीसमारखाँ पाते हैं.
रास न आये सच कबीर का
हम बुदबुद गुब्बारे हैं...

--ख़लिश

- mcdewedy@gmail.com ने कहा…

Salil Ji,
Pratham do band bahut achhe lage. Badhai sweekar karen.
Mahesh Chandra Dwivedy

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


आ० आचार्य जी,
सुन्दर सामयिक रचना | साधुवाद !
सादर
कमल

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


बहुत बहुत बधाई...!
साधुवाद !
सादर,
दीप्ति

Rakesh Khandelwal ✆ ekavita ने कहा…

Rakesh Khandelwal ✆ ekavita


मान्य सलिलजी,

इन पंक्तियों को नमन


करें भोर से भोर शोर हम,
चैन न लें, ना लेने दें.
अपनी नाव डुबाते, औरों को
नैया ना खेने दें.
वन काटे, पर्वत खोदे,
सच हम निर्मम हत्यारे है...

सादर

राकेश खंडेलवाल

santosh kumar ✆ ने कहा…

ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com ekavita


आ० सलिल जी
अति सुन्दर, खूबसूरत मुक्तिका के लिए बधाई स्वीकारें।
सन्तोष कुमार सिंह