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शनिवार, 11 अगस्त 2012

चित्र पर कविता: ५

चित्र पर कविता: ५

इस स्तम्भ की अभूतपूर्व सफलता के लिये आप सबको बहुत-बहुत बधाई. एक से बढ़कर एक रचनाएँ चित्र में अन्तर्निहित भाव सौन्दर्य को हम तक तक पहुँचाने में सफल रहीं

चित्र और कविता की प्रथम कड़ी में शेर-शेरनी संवाद, कड़ी २ में, कड़ी ३ में दिल -दौलत, चित्र ४ में रमणीक प्राकृतिक दृश्य के पश्चात चित्र ५ में देखिये एक अद्भुत छवि और रच दीजिये ऐसी ही अनमोल कविता. काव्य रचनाएँ divynarmada@gmail.com पर भेजें।
 

1 . शिशिर साराभाई  

मेरी मुनिया, मेरी चुनिया , माँ ने  दिया तुझे   डांट
तू   रह   मेरे  पास ,  खूब  मिलेगा   तुझको  प्यार 
जी  भर   खेलेगें , करेगे    जंगल    में   दौड   भाग .....
मेरी मुनिया, मेरी चुनिया ,सदा रहना  मेरे  पास  !
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shishirsarabhai@yahoo.com
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2. इंदिरा प्रताप  

निरख – निरख सुख पा रही , दे कर प्यार दुलार |
प्रेम – बीज का सार तो , प्रेम करो  नि : स्वार्थ |
देख – देख यह दृश्य तो , मनवा करे पुकार |
ईश्वर तुम तो धन्य हो , रचकर यह संसार | 
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pindira77@yahoo.co.in
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3. संजीव 'सलिल'

आ जा रे मेरे मनमोहन! तेरी सार सम्हाल करूँ।
मटकी फोड़े, वसन उठाए, फिर भी प्यार दुलार करूँ।
दुष्ट ग्वालिनें लांछित करतीं, तू मत उनकी चिंता कर-
खूब चुराए माखन-मिसरी, लेकिन तुझको प्यार करूँ।
ज्ञात मुझे है तू ही सबकी नैया पार लगायेगा।
चीखेंगे सब लेकिन तू रह मौन मंद मुस्कायेगा।
त्रेता का द्वारिकाधीश या, कलियुग का दिल्लीपति हो-
समय तुझे रणछोड़, धूर्त, कपटी, छलिया बतलायेगा।
ममता की माया अद्भुत है, इसे न कोई पड़ता फर्क।
जग की नैया पार लगाये या फिर कर दे बेड़ा गर्क?
तर्क वितर्क कुतर्क न जाने, इसे ज्ञात केवल सच एक-
जो विरोध में हो उसको यह  येन-केन भेजेगी नर्क।
लाल कृष्ण या बाल कृष्ण को मनमोहन पीछे दे छोड़।
रुदन-शोर कर लाख जतन ले, चुप्पी से ले सके न होड़।
अनशन धरना करना-मरना, तुम्हें मुबारक हो यह राह-
मनमोहन सत्ता रथ को, जब जैसा चाहे लेता मोड़।
जनमत जसुदा हो या सोनिया, मैया का देता है साथ।
शक्ति-शारदा या लक्ष्मी को, नवा रहा युग-युग से माथ 
सुषमा की करता सराहना किन्तु न सौंपे घर का भार-
ममता, लाड, स्नेह का रहता मनमोहन के सर पर हाथ।
*** 
4. संजीव 'सलिल'

कसम तुम्हें, आवाज़ न देना...
*
सदय हुए हैं आज विधाता
मैं कर लूँ पूरा अरमान.
ममता मुझे लुटा लेने दो
मैंने पायी है संतान.
मैं माँ मुझको रंग, धर्म या
नस्ल, देश से क्या लेना?
कसम तुम्हें, आवाज़ न देना...
*
उमा कहो या रमा
क्षमा करना ही मेरा धर्म रहा.
अपनेपन का मर्म बताना
शिशु को मेरा कर्म रहा.
फल की चिंता तनिक करूँ क्यों
फल से मुझको क्या लेना?
कसम तुम्हें, आवाज़ न देना...
*
मेरी तेरी इसकी उसकी
मत कह, माँ केवल माँ है.
कैसा भी हो और किसी का
हर शिशु में माँ की जां है.
ममता की नदिया में
नातों की नौका मुझको खेना
कसम तुम्हें, आवाज़ न देना...
*
 

5. प्रणव भारती

   ये माँ का शिशु का प्यार 
    नहीं इसमें कोई दीवार 
    न कोई जात -रंग का भेद
    ये  है प्यार भरा अधिकार
     कोई हो रंग,कोई भ़ी नाम 
     कोई भ़ी हो चाहे परिणाम 
     ये ममता है ,न छोड़े साथ
     यही है माँ की गरिमा भ्रात 
     ये ममता जीवन की है ज्योत
      बहाती ममता के सब स्रोत 
      नमन इसको है बारंबार 
      यही  तो माता का शृंगार |
 
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2 टिप्‍पणियां:

Divya Narmada ने कहा…

vijay ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


आ० संजीव जी,

मनमोहक रचना के लिए साधुवाद ।

विजय

- prans69@gmail.com ने कहा…

- prans69@gmail.com

रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा है सलिल जी
प्राण शर्मा