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बुधवार, 8 अगस्त 2012

गीत : प्रीतिमय संसार... संजीव 'सलिल'

गीत :

प्रीतिमय संसार...

संजीव 'सलिल'
*

प्रीतिमय श्वासें सुगन्धित, प्रीतिमय आसें तरंगित.
प्रीतिमय संसार पाकर, 'सलिल' की प्यासें प्रफुल्लित..
*
प्रीति ही है नीति जग की, प्रीति जीवन की धरोहर.
प्रीति बिन संसार वीरां, प्रीतिमय रिश्ते मनोहर..
जनक-जननी, बंधु-भगिनी, प्रिय-प्रिया या सखा-सखियाँ-
प्रीति बिन संबंध सारे, त्याज्य काँटों सम अवंदित...
*
प्रीति कविता गीत दोहा, प्रीति ने बन नृत्य मोहा.
प्रीति के अनुबंध को, प्रतिबन्ध किंचित भी न सोहा..
प्रीति साखी प्रीति बानी, प्रीति ने कब रीत मानी?
बन्धनों से जूझती है, प्रीति युग को कर अचंभित...
*
प्रीति नदिया निर्मला है, प्रीति चपला-चंचला है.
शक्ति-शारद-लक्ष्मी है, प्रीति धवला-मंगला है..
भारती की आरती है, सत्य को मनुहारती है-
प्रीति की प्रतीति वर अद्वैत होती अगरु गंधित...
*
प्रीति कान्हा प्रीति राधा, प्रीति रुक्मिणी प्रीति मीरा.
प्रीति ढोलक, झाँझ, वेणु, प्रीति रोली रंग अबीरा..
प्रीति सीता-राम, हनुमत, शिव-शिवा का एक्य अनुपम-
कंकरों को करे शंकर, प्रीति पल में रह अखंडित...
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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