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मंगलवार, 14 अगस्त 2012

गीत: कब होंगे आजाद -- संजीव 'सलिल'

गीत:
कब होंगे आजाद
संजीव 'सलिल'
*
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*
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*
गए विदेशी पर देशी अंग्रेज कर रहे शासन.
भाषण देतीं सरकारें पर दे न सकीं हैं राशन..
मंत्री से संतरी तक कुटिल कुतंत्री बनकर गिद्ध-
नोच-खा रहे
भारत माँ को
ले चटखारे स्वाद.
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*
नेता-अफसर दुर्योधन हैं, जज-वकील धृतराष्ट्र.
धमकी देता सकल राष्ट्र को खुले आम महाराष्ट्र..
आँख दिखाते सभी पड़ोसी, देख हमारी फूट-
अपने ही हाथों
अपना घर
करते हम बर्बाद.
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*
खाप और फतवे हैं अपने मेल-जोल में रोड़ा.
भष्टाचारी चौराहे पर खाए न जब तक कोड़ा.
तब तक वीर शहीदों के हम बन न सकेंगे वारिस-
श्रम की पूजा हो
समाज में
ध्वस्त न हो मर्याद.
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*
पनघट फिर आबाद हो सकें, चौपालें जीवंत.
अमराई में कोयल कूके, काग न हो श्रीमंत.
बौरा-गौरा साथ कर सकें नवभारत निर्माण-
जन न्यायालय पहुँच
गाँव में
विनत सुनें फ़रियाद-
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*
रीति-नीति, आचार-विचारों भाषा का हो ज्ञान.
समझ बढ़े तो सीखें रुचिकर धर्म प्रीति विज्ञान.
सुर न असुर, हम आदम यदि बन पायेंगे इंसान-
स्वर्ग तभी तो
हो पायेगा
धरती पर आबाद.
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?....
*

3 टिप्‍पणियां:

- sosimadhu@gmail.com ने कहा…

- sosimadhu@gmail.com

आ.संजीव जी

मौजूदा भारत का ये ही हाल है एक तरफ हम झंडा फहराते हैं भाव विभोर पन्द्रह अगस्त मनाते है और दूसरे ही क्षण, बेबसी की तस्वीर पर आंसू बहाते है, वास्तव में कब होगे आजाद? क्या कभी हो पायेगें?
निराश भारतीय
मधु

बेनामी ने कहा…

गरल जगत में व्याप्त न इसका आशय मधु का अंत.
शैतानों को सदा पराजित करते आये संत..

कब होंगे आजाद?, न समझें हम हैं अभी गुलाम.
आशय यह आजाद हो सके अधिक आदमी आम..

व्याप्त निराशा में भी आशा देख रही हैं आप.
तम क्या कभी उजाले से ज्यादा पाया है व्याप?

शीश उठा झंडा-वंदन फिर शीश झुका त्रुटि-चिंतन.
नहीं विरोधी दोनों पूरक, मणि दे सागर मंथन..

मधुमक्खी का डंक देख मत कहें न अपने योग्य.
मधु की चखें मिठास लगेगा तब वह मन के भोग्य..

किन्तु न अतिशय मधु से हो मधुमेह यही है आशय.
आजादी हो योग-क्षेमवाहक, शुभ, भाग्य नियामक..

***

- binu.bhatnagar@gmail.com ने कहा…

- binu.bhatnagar@gmail.com

कहते हैं जब व्यभिचार सीमा पर कर लेता है तो कोई अवतार जन्म लेता है।ऐसा कब होगा,कब होंगे आज़ाद हम