कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

‘हिन्दी मैया मोरिया.... मंजु महिमा

हिंदी दिवस पर विशेष रचना:

हिन्दी मैया मोरिया....

मंजु महिमा, मुम्बई
*
वैसे तो हम सभी व्यस्त हैं,
जीवन की आपाधापी में,
रोज़ी-रोटी कमाने में,
उड़ रहे हैं सभी ज़माने की हवा में।
वक्त ही कहाँ है?
जो हो रहा है, वह होने देते हैं ।
पर, जब कभी कोई अवसर आता है,
तो फ़र्ज़ और संस्कार मारने लगते हैं जोर,
और हो जाते हैं हम थोड़े पुरजोर।
ऐसे ही जब आता है 14सितम्बर,
उमड़ पड़ता है अपनी
राजभाषा/मातृभाषा के प्रति
हमारा प्यार।
गणेश-चतुर्थी पर करते हैं ,
जैसे प्रतिष्ठित मूर्ति गणेश की,
करते हैं पूजा-अर्चना और फ़िर
चौदहवें दिन कर देते हैं,
विदा पूरे मान-सम्मान के साथ
वैसे ही हमारी हिन्दी मैया है,

होती है प्रतिष्ठित सरकारी मन्दिरों में,
पूजा-अर्चना, खेल तमाशा
ढोल-नगाड़ा, भाषण-जलूस
सब कुछ होता है,
चारों ओर हिन्दी मैया का ‘तोता’ बोलता है।
प्रशंसा में पढे जाते हैं, कसीदे,
गुणगान होते हैं कई।
पर, आज यह काले अंग्रेज़
दिखा रहे हमें प्रगति का रास्ता,
दे रहे विश्व-बन्धुत्व का वास्ता।
क्या करें इस महान कार्य के लिए
कुछ तो त्याग आवश्यक है।
इसीलिए इसकी स्मृति में,
मनाकर पखवाड़ा ज़ोर-शोर से,
रख कर कलेजे पर पत्थर,
मैया का कर आते हैं विसर्जन,
लगाते हैं गुहार बार-बार
‘हिन्दी मैया मोरिया, 
पुढ़च्या वर्षी लोकरिया’
अगले बरस तू फ़िर से आना।       
 - manjumahimab8@gmail.com
'तुलसी क्यारे सी हिन्दी को,
           हर आँगन में रोपना है.
यह वह पौधा है जिसे हमें,
           नई  पीढ़ी को सौंपना है. '
                                  ---मंजु महिमा

कोई टिप्पणी नहीं: