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सोमवार, 19 नवंबर 2012

शिशु गीत सलिला : 2 -संजीव 'सलिल'

शिशु गीत सलिला : 2
संजीव 'सलिल'
*
11. पापा-1




पापा लाड़ लड़ाते खूब,
जाते हम खुशियों में डूब।
उन्हें बना लेता घोड़ा-
हँसती, देख बाग़ की दूब।।
*

12. पापा-2


पापा चलना सिखलाते,
सारी दुनिया दिखलाते।
रोज बिठाकर कंधे पर-
सैर कराते मुस्काते।।

गलती हो जाए तो भी,
कभी नहीं खोना आपा।
सीख सुधारूँगा मैं ही-
गुस्सा मत होना पापा।।
*
13. भैया-1





मेरा भैया प्यारा है,
सारे जग से न्यारा है।
बहुत प्यार करता मुझको-
आँखों का वह तारा है।।
*
14. भैया-2



नटखट चंचल मेरा भैया,
लेती हूँ हँस रोज बलैया।
दूध नहीं इसको भाता-
कहता पीना है चैया।।
*
15. बहिन -1



बहिन गुणों की खान है,
वह प्रभु का वरदान है।
अनगिन खुशियाँ देती है-
वह हम सबकी जान है।।
*
16. बहिन -2



बहिन बहुत ही प्यारी है,
सब बच्चों से न्यारी है।
हँसती तो ऐसा लगता-
महक रही फुलवारी है।।
*
17. घर



पापा सूरज, माँ चंदा,
ध्यान सभी का धरते हैं।
मैं तारा, चाँदनी बहिन-
घर में जगमग करते हैं।।
*
18. बब्बा



बब्बा ले जाते बाज़ार,
दिलवाते टॉफी दो-चार।
पैसे नगद दिया करते-
कुछ भी लेते नहीं उधार।।

मम्मी-पापा डांटें तो
उन्हें लगा देते फटकार।
जैसे ही मैं रोता हूँ,
गोद उठा लेते पुचकार।।
*
19. दादी-1


दादी बनी सहेली हैं,
मेरे संग-संग खेली हैं।
उनके बिना अकेली मैं-
मुझ बिन निपट अकेली हैं।।
*
20. दादी-2




राम नाम जपतीं दादी,
रहती हैं बिलकुल सादी।
दूध पिलाती-पीती हैं-
खूब सुहाती है खादी।।

गोदी में लेतीं, लगतीं -
रेशम की कोमल गादी।
मुझको शहजादा कहतीं,
बहिना उनकी शहजादी।।
*

13 टिप्‍पणियां:

LOON KARAN CHHAJER ने कहा…

LOON KARAN CHHAJER

बहुत सुंदर बच्चे आज खुश हो जायेंगे .
पुरे परिवार को आपने बहुत खूबसूरती के साथ व खूबी से पिरोया है . साधुवाद

Laxman Prasad Ladiwala ने कहा…

Laxman Prasad Ladiwala

बहिन -1
बहिन गुणों की खान है,
वह प्रभु का वरदान है।
सब बच्चों से न्यारी है।
वह हम सबकी जान है।।
बहिन -2
बहिन बहुत ही प्यारी है,
अनगिन खुशियाँ देती है-
हँसती तो ऐसा लगता-
महक रही फुलवारी है।।

बहुत सुन्दर रचना -बधाई श्री संजीव सलिल जी

- madhuvmsd@gmail.com ने कहा…

- madhuvmsd@gmail.com
संजीव जी
गुणों की खान
आपका नही कोई भी सान
गीत बनाते चुटकी मार
करते नही कभी अवसान (आलस )

Dr.M.C. Gupta द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

Dr.M.C. Gupta द्वारा yahoogroups.com

सलिल जी,

बहुत सुंदर हैं.

सुझाव: यदि आप ने पहले ही न सोच रखा हो तो इन कविताओं को चित्रों सहित बाल गीत संकलन के रूप में पुस्तक रूप दिया जा सकता है. प्रकाशकों से हुई बात के अनुसार ऐसी बाल-पुस्तकों की खूब माँग है.

--ख़लिश

sanjiv verma salil ने कहा…

माननीय लगभग 101 शिशु गीत तैयार हैं। कोई प्रकाशक छापना चाहे तो कृपया बताएं। जबलपुर में कोई प्रकाशक नहीं है।

- manjumahimab8@gmail.com ने कहा…

- manjumahimab8@gmail.com

गीत सलिला में तैरती नौकाओं जैसी रचनाओं को पढ़कर आनंद आगया...
ढेर सारी शुभकामनाएं आपकी पुस्तक के लिए...
बड़ी ही सहज, सरल, सार्थक और संक्षिप्त रचनाएँ हैं जो शिशुओं के होंठो पर सरलता से बस जाएंगी.
सादर-
मंजु महिमा

dks poet ने कहा…

dks poet

आदरणीय आचार्य जी,
सुंदर बाल रचनाएँ हैं। बधाई स्वीकारें।
सादर

धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’

Mahipal Singh Tomar ने कहा…

Mahipal Singh Tomar

शिशु गीत सलिला में डुबकी का आनंद दिलाने के लिए हार्दिक साधुवाद ,
सादर ,
महिपाल ,17/11/12 ,ग्वालियर

sanjiv verma salil ने कहा…

दादा!
नमन।
उत्साहवर्धन हेतु आभार। गत माह एक सामाजिक आयोजन में जयपुर जाना हुआ। सफर में रफ कागज़ पर कुछ लिखता रहा। एक आयोजक बंधु की दृष्टि उन कागजों पर पडी तो उनहोंने प्रति चाही। मैंने जानना चाह कि रचनाओं में से केवल शिशु गीत ही क्यों चुने? वे बोले अंगरेजी भाषी शिक्षा के कारण बच्चे केवल अंकल-आंटी दो नाते जानते हैं। शेष रिश्तों से अनजान होते जा रहे हैं। यह शिकायत कुछ प्रवासी रिश्तेदारों की भी थी। बच्चे हिंदी ही नहीं हिन्दीयत से भी दूर जा रहे हैं। इसलिए नातों और बच्चों के परिवेश को केंद्र में रखकर शिशु गीत रचने का प्रयास किया है। चुनौती बच्चे के शब्द भंडार के अनुरूप लिखने तथा कुछ नए सरल शब्द सिखाने की है। इस निकष पर जहाँ चूक हो कृपया, इंगित करेंगे ताकि सुधार कर सकूं। सबसे अधिक कठिन काम खुद को बच्चों के स्तर पर ले जाना है।

kusum sinha ने कहा…

kusum sinha

priy sanjiv ji

aapki rachnao ka koi jawab nahi mai sabse pahle aapki kavitayein hi khojti hun bahut bahut badhai
kusum

Amitabh Tripathi@yahoogroups.com ने कहा…

Amitabh Tripathi@yahoogroups.com

आ० आचार्य जी,
बाल गीतों के साथ चित्रों का संयोजन भी अच्छा है।
मनोरंजन के साथ शिक्षाप्रद बालगीत भी रचें तो और अधिक उपयोगी होंगे।
सादर
अमित

sanjiv verma salil ने कहा…

कुसुम जी!
वन्दे।
आजकल जबलपुर में हूँ। माँ शारदा हर दिन ही कुछ न कुछ लिखवा लेती हैं, यह उनकी अहैतुकी कृपा है। कई वर्षों पूर्व दो काव्य संग्रह अतुकांत कविताओं के छपे थे, उनमें से एक की कुछ प्रतियाँ हैं। लगभग 20 पुस्तकों की सामग्री तैयार है पर प्रकाशक खोज नहीं पाया... आजकल 111 शिशु गीत लगभग पूर्णता की और हैं, फिर बाल गीत रचने का विचार है। एक पुस्तक अलंकारों पर चल रही है, इसके बाद छन्द पर ग्रन्थ रचना है। योजना सौ बरस की हैं पल की खबर नहीं... देखी मैया क्या करती हैं? अपना डाक का पता दें।

sanjiv verma salil ने कहा…

आदरणीय!
नमन। आपका सत्परामर्श सर-आँखों पर। ये शिशुगीत 6 वर्ष तक के शिशुओं के लिए हैं। इसलिए सरलता और रोचकता पर अधिक ध्यान है। सीख सुधारूँगा मैं ही- गुस्सा मत होना पापा।।, ध्यान सभी का धरते हैं।, कुछ भी लेते नहीं उधार।।, रहती हैं बिलकुल सादी। आदि में कुछ शिक्षा का पूत है। इसके बाद बालगीत प्रस्तुत करूंगा उनमे शिक्षा कुछ अधिक हो सकती है। आपके सकारात्मक और सार्थक सुझाव हेतु आभारी हूँ।