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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

दोहा सलिला: विवाह- एक दृष्टि द्वैत मिटा अद्वैत वर... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
विवाह- एक दृष्टि

द्वैत मिटा अद्वैत वर...
संजीव 'सलिल'

*
रक्त-शुद्धि सिद्धांत है, त्याज्य- कहे विज्ञान।
रोग आनुवंशिक बढ़ें, जिनका नहीं निदान।।

पितृ-वंश में पीढ़ियाँ, सात मानिये त्याज्य।
मातृ-वंश में पीढ़ियाँ, पाँच नहीं अनुराग्य।।

नीति:पिताक्षर-मिताक्षर, वैज्ञानिक सिद्धांत।
नहीं मानकर मिट रहे, असमय ही दिग्भ्रांत।।

सहपाठी गुरु-बहिन या, गुरु-भाई भी वर्ज्य।
समस्थान संबंध से, कम होता सुख-सर्ज्य।।

अल्ल गोत्र कुल आँकना, सुविचारित मर्याद।
तोड़ें पायें पीर हों, त्रस्त करें फ़रियाद।।

क्रॉस-ब्रीड सिद्धांत है, वैज्ञानिक चिर सत्य।
वर्ण-संकरी भ्रांत मत, तजिए- समझ असत्य।।

किसी वृक्ष पर उसी की, कलम लगाये कौन?
नहीं सामने आ रहा, कोई सब हैं मौन।।

आपद्स्थिति में तजे, तोड़े नियम अनेक।
समझें फिर पालन करें, आगे बढ़ सविवेक।।

भिन्न विधाएँ, वंश, कुल, भाषा, भूषा, जात।
मिल- संतति देते सबल, जैसे नवल प्रभात।।

एक्य समझदारी बढ़े, बने सहिष्णु समाज।
विश्व-नीड़ परिकल्पना, हो साकारित आज।।

'सलिल' ब्याह की रीति से, दो अपूर्ण हों पूर्ण।
द्वैत मिटा अद्वैत वर, रचें पूर्ण से पूर्ण।।

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



5 टिप्‍पणियां:

Divya Narmada ने कहा…

kamlesh kumar diwan

sahi kaha hai 

Er. Ganesh Jee "Bagi" ने कहा…

Er. Ganesh Jee "Bagi"

वैदिक परम्पराओं, मान्यताओं और रिवाजों को वैज्ञानिक सिधान्तों के साथ युग्मित कर बहुत ही सुन्दर दोहे रचें हैं आदरणीय, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें |

rajesh kumari ने कहा…

rajesh kumari

दोहों के माध्यम से बहुत बढ़िया शिक्षाप्रद बात कही है बहुत ही सार्थक उत्कृष्ट दोहे हार्दिक बधाई

Indira Pratap ने कहा…

Indira Pratap

संजीव भाई ,
आप किस खूबसूरती से दोहों के माध्यम से किसी भी विषय को बड़ी आसानी से व्यक्त कर लेते हैं| कुछ शब्दों के अर्थ देखने पड़े| जिस दिन मैं नया कुछ सीखती हू मुझे बड़ा अच्छा लगता है| आपकी कलम को प्रणाम|, दिद्दा

dks poet ekavita ने कहा…

dks poet ekavita


आदरणीय सलिल जी,
दोहे अच्छे हैं, साधुवाद स्वीकारें
सादर

धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’